
Up Kiran, Digital Desk: क्या कभी आपने सोचा है कि राजधानी के सुरक्षित समझे जाने वाले इलाकों में भी कोई यूं दिन-दहाड़े किसी व्यापारी को गोलियों से भून सकता है? बिहार की राजधानी पटना में ऐसी ही एक सनसनीखेज वारदात ने सबको झकझोर कर रख दिया है। नामचीन कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या के मामले में पुलिस ने न केवल मुख्य शूटर को गिरफ्तार किया है, बल्कि उसे हथियार मुहैया कराने वाले व्यक्ति को मुठभेड़ में ढेर कर दिया है।
मालसलामी में तड़के चलीं गोलियां, 'राजा' का अंत
पटना के मालसलामी इलाके में मंगलवार सुबह उस समय अफरा-तफरी मच गई जब पुलिस की एक विशेष टीम ने एक ठिकाने पर छापा मारा। वहां मौजूद विकास उर्फ 'राजा', जो खेमका हत्याकांड में शूटर को हथियार पहुंचाने का आरोपी था, उन्होंने पुलिस को देखते ही गोलियां चलानी शुरू कर दीं। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने उसे ढेर कर दिया। बताया जा रहा है कि राजा लंबे समय से फरार था और पुलिस को उसकी तलाश थी।
मुख्य शूटर उमेश गिरफ्तार, दिल्ली में छिपा था पहचान बदलकर
इससे पहले, इस केस में बड़ा ब्रेक तब आया जब पुलिस ने मुख्य शूटर उमेश को गिरफ्तार कर लिया। उमेश मूलतः पटना सिटी का निवासी है, लेकिन वह दिल्ली में ‘विजय’ नाम से रह रहा था और पहचान छुपाकर खुद को बचा रहा था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, गोपाल खेमका की हत्या के लिए उमेश को 10 लाख रुपये की सुपारी दी गई थी, जिसमें से एक लाख रुपये उसे एडवांस में मिले थे। उमेश 24 जून को दिल्ली से पटना लौटा था – अपने मिशन को अंजाम देने।
हत्या की प्लानिंग थी बेहद सुनियोजित, सीसीटीवी ने खोली साजिश की पोल
घटना के बाद सामने आए सीसीटीवी फुटेज ने इस वारदात की गंभीरता को और उजागर कर दिया। फुटेज में साफ देखा गया कि शूटर ने योजनाबद्ध तरीके से खेमका के घर के बाहर घात लगाई थी। जैसे ही खेमका अपनी कार से नीचे उतरे, उमेश ने उन पर गोलियां दागीं और भीड़ का फायदा उठाकर फरार हो गया। पुलिस ने सोमवार को दो अन्य संदिग्धों को भी हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ जारी है।
कौन थे गोपाल खेमका, जिनकी हत्या ने राजधानी को हिला दिया?
गोपाल खेमका, जो मगध अस्पताल के मालिक थे, पटना के बेहद प्रतिष्ठित व्यवसायियों में गिने जाते थे। वे कई सामाजिक संस्थाओं से भी सक्रिय रूप से जुड़े थे। शुक्रवार रात लगभग 11:40 बजे गांधी मैदान थाना क्षेत्र में स्थित उनके आवास के बाहर यह हत्या उस वक्त हुई जब वे अपनी कार से उतर ही रहे थे। अचानक चली गोलियों की गूंज ने पूरे मोहल्ले में खलबली मचा दी। हमलावर वारदात को अंजाम देकर मौके से तुरंत फरार हो गए।
चुनावों से पहले अपराध का यह नया चेहरा
गौरतलब है कि यह जघन्य हत्या राज्य में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों से कुछ ही महीने पहले हुई है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है – क्या यह कोई राजनीतिक संकेत है या फिर महज आपराधिक साजिश? इस वारदात ने न केवल प्रशासन को चुनौती दी है बल्कि आम लोगों में भी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है।
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