
Up Kiran, Digital Desk: नई दिल्ली में एक उच्च-स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत को दुर्लभ पृथ्वी तत्वों (Rare Earth Elements - REE) और अन्य महत्वपूर्ण खनिजों के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। इस अहम बैठक में केंद्रीय कोयला और खान मंत्री जी. किशन रेड्डी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह और कोयला एवं खान राज्य मंत्री सतीश चंद्र दुबे शामिल हुए।
बैठक का एजेंडा इन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) को मजबूत करने और चीन जैसे देशों पर भारत की निर्भरता को कम करने पर केंद्रित था। ये खनिज आधुनिक तकनीक के लिए बेहद ज़रूरी हैं, जिनका इस्तेमाल रक्षा उपकरण, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन, सौर पैनल, और पवन टरबाइन जैसे क्षेत्रों में होता है।
केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए "सरकार के संपूर्ण दृष्टिकोण" (Whole of Government Approach) पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि खान, कोयला और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालयों के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है ताकि देश में इन खनिजों की खोज, खनन और प्रसंस्करण में तेजी लाई जा सके।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के पास खनिज प्रसंस्करण और धातु विज्ञान में दशकों की विशेषज्ञता है, जो भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि CSIR की प्रयोगशालाएं जटिल प्रक्रियाओं को संभाल सकती हैं और देश को एक मजबूत घरेलू आपूर्ति श्रृंखला बनाने में मदद कर सकती हैं।
इस बैठक में महत्वपूर्ण खनिजों के ब्लॉकों की नीलामी में तेजी लाने, विदेशों में खनिज संपत्तियों के अधिग्रहण के लिए काबिल (KABIL - Khanij Bidesh India Ltd) की भूमिका बढ़ाने और घरेलू अन्वेषण को प्रोत्साहित करने जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई।
सरकार का यह कदम भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास के लिए एक मजबूत और लचीली खनिज आपूर्ति श्रृंखला बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है, जिससे भविष्य की प्रौद्योगिकियों के लिए भारत की ज़रूरतें पूरी हो सकेंगी।
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