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Up kiran,Digital Desk : जिस पंजाब को देश का 'अन्न का कटोरा' कहा जाता है, वहां से इस बार एक बड़ी चिंता वाली खबर आई है। इस साल बाढ़ की ऐसी मार पड़ी है कि धान की पैदावार लक्ष्य से बहुत कम हुई है। मंडियां सूनी रहीं और सरकार का खरीद का टारगेट भी अधूरा रह गया। अब सवाल यह है कि क्या इसका असर हमारी और आपकी रसोई पर भी पड़ेगा?

बाढ़ और वायरस की दोहरी मार

  1. बाढ़ का कहर: सबसे बड़ी वजह रही मॉनसून में आई भयंकर बाढ़, जिसने लगभग 5 लाख एकड़ में खड़ी धान की फसल को पानी में डुबोकर बर्बाद कर दिया।
  2. वायरस का हमला: जो फसल बाढ़ से बच गई, उस पर कई जिलों में एक खास तरह के वायरस (SRBSDV) ने हमला बोल दिया, जिससे पौधे बौने रह गए और पैदावार घट गई।

आंकड़े बता रहे हैं कितना बड़ा है नुकसान

आंकड़े इस नुकसान की पूरी कहानी बयां करते हैं:

  • लक्ष्य था: सरकार का अनुमान था कि इस बार 180 लाख मीट्रिक टन धान की पैदावार होगी।
  • हकीकत यह है: लेकिन मंडियों तक सिर्फ 156 लाख मीट्रिक टन धान ही पहुंच पाया।
  • सीधा मतलब: यानी लक्ष्य से 24 लाख मीट्रिक टन कम। यह पिछले 8 सालों में (2016 के बाद) सबसे कम खरीद है।

हालांकि, सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि जितने भी 11 लाख से ज्यादा किसान अपनी फसल लेकर मंडी पहुंचे, उन्हें उनकी फसल का 37,288 करोड़ रुपये का भुगतान समय पर कर दिया गया।

इसका देश पर क्या असर पड़ेगा?

पंजाब, देश के सेंट्रल पूल (सरकारी अनाज भंडार) में सबसे ज्यादा चावल देने वाले राज्यों में से एक है। केंद्र ने इस बार पंजाब से 173 लाख मीट्रिक टन चावल मांगा था, लेकिन अब यह टारगेट पूरा नहीं हो पाएगा। इसका सीधा असर देश में चावल की कुल उपलब्धता और इसके निर्यात (विदेशों में बेचने) पर पड़ सकता है।

तो क्या सच में घबराने की बात है?

इस मामले पर कुछ जानकारों का मानना है कि घबराने की ज्यादा जरूरत नहीं है, क्योंकि सरकार के पास अपने गोदामों में पहले से ही चावल का भरपूर स्टॉक जमा है, जो किसी भी कमी की स्थिति को संभाल सकता है।

लेकिन यह घटना एक बड़ी चेतावनी जरूर है कि मौसम की एक मार कैसे खेत से लेकर हमारी रसोई तक का पूरा गणित बिगाड़ सकती है।