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Up Kiran, Digital Desk: आपकी थाली की दाल को लेकर एक बड़ी खबर है। नीति आयोग ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की है, जिसका नाम है- 'दालों में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की ओर'। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में दालों के उत्पादन की क्या स्थिति है और भविष्य में हम इस मामले में कैसे आत्मनिर्भर बन सकते हैं।

क्यों खास है यह रिपोर्ट: अच्छी खबर यह है कि रिपोर्ट में देश में दालों के उत्पादन में लगातार वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। वैसे भी, भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के साथ-साथ सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। दाल भारतीय भोजन का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो हमें किफायती और टिकाऊ प्लांट-बेस्ड प्रोटीन और कई जरूरी पोषक तत्व देती है।

इसके अलावा, यह फाइबर, विटामिन और खनिजों से भरपूर होती है। यह रिपोर्ट इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि दालों का यह सेक्टर देश के पांच करोड़ से अधिक किसानों और उनके परिवारों की आजीविका चलाता है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था और 'आत्मनिर्भरता' के विजन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

सरकार क्या कर रही है?: केंद्र सरकार ने 2025-26 के बजट में 'दालों में आत्मनिर्भरता के लिए मिशन' की घोषणा की थी, जो छह साल तक चलेगा। इसमें विशेष रूप से तुअर, उड़द और मसूर पर ध्यान दिया जा रहा है।

इस बीच, फसल की कमी और कीमतों में उतार-चढ़ाव जैसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए, सरकार मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF) के तहत तुअर, उड़द, चना, मूंग और मसूर जैसी प्रमुख दालों का एक 'बफर स्टॉक' भी रखती है। आसान भाषा में कहें तो सरकार अपने गोदामों में दालों का एक बड़ा स्टॉक रखती है ताकि जब भी बाजार में कीमतें बढ़ें, तो वह इसे बेचकर महंगाई को काबू में कर सके। 1 अप्रैल तक सरकार के पास लगभग 15.75 लाख मीट्रिक टन दालों का स्टॉक था।

घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए, सरकार ने 31 मार्च, 2026 तक तुअर और उड़द के शुल्क-मुक्त आयात की भी अनुमति दी है।

चुनौती अभी भी बाकी: कृषि संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, दालों का उत्पादन 2013-14 में 198 लाख टन से बढ़कर 2023-24 में 242.46 लाख टन हो गया है। लेकिन, 2023-24 में वास्तविक उत्पादन उस अवधि के लक्ष्य से लगभग 50.04 लाख मीट्रिक टन कम था। इस कमी को पूरा करने के लिए भारत ने 47.39 लाख मीट्रिक टन दालों का आयात किया, जबकि लगभग 6 लाख मीट्रिक टन का निर्यात किया गया।