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Up Kiran, Digital Desk: डोनाल्ड ट्रंप द्वारा H‑1B वीजा शुल्क को सालाना $1,00,000 तक बढ़ाने के आदेश ने सियासी तूफान उठा दिया है। शनिवार को विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार पर तीखा हमला किया। कांग्रेस, सपा और अन्य दलों ने इस आदेश को भारत‑अमेरिका संबंधों में “राष्ट्रीय हितों की चपत” बताया।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा, “मैं दोहराता हूँ, भारत के पास एक कमजोर प्रधानमंत्री है।” उन्होंने कहा कि विदेश नीति सिर्फ “फोटो‑ऑप, संगीत और ‘मोदी‑मोदी’ के नारे” नहीं होती। बगैर कार्यों के सिर्फ दिखावा देश की प्रतिष्ठा को खोखला कर देता है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्रंप के जन्मदिन पर फोन कॉल के बाद मिले “रिटर्न गिफ्ट्स” की आलोचना की। उनका कहना था कि ये “तोहफे” विदेश नीति नहीं बल्कि अप्रत्याशित नुकसान हैं। उन्होंने लिखा है कि भारतीय राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं, और गले मिलना‑सम्मान ठहराव नहीं बन सकते जब निर्णय भारत के भविष्य को प्रभावित करते हों।

सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि इस तरह की रणनीतिक चुप्पी और दिखावटीपन भारत के लिए बोझ बन गई है। उन्होंने याद दिलाया कि किस तरह एक विदेशी घटना पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने साहस दिखाया था।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि मोदी सरकार दूसरे देशों पर निर्भर होती जा रही है। उन्होंने पूछा, “अगर कल किसी और देश ने ऐसा कदम उठाया तो हम कैसे खड़े होंगे?”

निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने मध्यम वर्ग की नाराजगी की बात कही। उन्होंने कहा कि क्या उन लोगों के लिए $1,00,000 का वीजा शुल्क मुमकिन है जो तनख्वाह‑वेतन परजीवी नहीं हैं? क्या यह फैसला सिर्फ अमीरों के लिए अमेरिकी अवसरों को आसान करेगा?