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Up Kiran, Digital Desk: हरियाणा पुलिस ने जेलों में बंद उन गैंगस्टरों के ग्लैमरस मुखौटे को उतारने की ठान ली है जो सोशल मीडिया पर अपनी 'माचो' छवि चमका रहे हैं। पुलिस अब जनता के सामने सलाखों के पीछे की कड़वी और नीरस हकीकत पेश करने की तैयारी में है। इसका सीधा मतलब है जेल में सड़ने वाले इन अपराधियों की रीलों पर लगने वाली रोक।

हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (DGP) ओ.पी. सिंह ने आला अधिकारियों को साफ निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि इन अपराधियों का पर्दाफाश किया जाए और लोगों को दिखाया जाए कि असल में जेल के अंदर की जिंदगी कैसी होती है। डीजीपी सिंह ने दो टूक शब्दों में कहा "जेलों में बैठे ये चिरकुट अपनी रील्स से जनता को बेवकूफ बना रहे हैं।"

डिजिटल दबदबे पर चोट और सुधार की राह

14 अक्टूबर को कार्यभार संभालने के बाद से, डीजीपी ओपी सिंह ने हरियाणा के गिरोहों पर चौतरफा हमला शुरू कर दिया है। एक तरफ वह इन गैंगस्टरों के ऑनलाइन आभा मंडल को खत्म करने की मुहिम में हैं, वहीं दूसरी तरफ आत्मसमर्पण करके सुधरने के इच्छुक लोगों के लिए वापसी का रास्ता भी खोल रहे हैं।

इस पहल को अमलीजामा पहनाते हुए पुलिस ने 5 नवंबर को 'ऑपरेशन ट्रैकडाउन' शुरू किया। यह हालिया गोलीबारी की घटनाओं से जुड़े भगोड़ों को पकड़ने के लिए एक सोलह दिवसीय राज्यव्यापी अभियान है। पहले ही दिन 32 गिरफ्तारियां की गईं।

डीजीपी ने फरार अपराधियों को सख्ती से ट्रैक करने, उनके जमानत मामलों को फिर से खोलने, अपराध से अर्जित संपत्ति जब्त करने और स्टेशन हाउस ऑफिसर (SHO) व पुलिस उपाधीक्षक (DSP) के लिए व्यक्तिगत जवाबदेही तय करने का फरमान सुनाया है।

अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने "सबसे खराब पाँच" अपराधियों को पकड़ें, जबकि जिला और स्पेशल टास्क फोर्स (STF) इकाइयों को अपने "सबसे खराब 10" और "सबसे खराब 20" को दबोचना होगा।