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Up Kiran, Digital Desk: पंजाब-हरियाणा में पानी का मुद्दा हाईकोर्ट पहुंच गया है, मगर दोनों राज्यों के बीच बैठकों का दौर जारी है। कल पंजाब सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी और सभी दलों ने हरियाणा को पानी न देने पर सहमति जताई थी। तो वहीं आज हरियाणा सरकार ने भी सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बैठक के बाद सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि पानी के मुद्दे पर हरियाणा सरकार को सभी विपक्षी दलों का समर्थन मिला है। उन्होंने कहा कि पानी रोकना असंवैधानिक है और ऐसा करके सीएम भगवंत मान ने संघीय ढांचे पर हमला किया है।

जानकारी के अनुसार, सर्वदलीय बैठक में कांग्रेस, भाजपा, इनेलो, जेजेपी और आम आदमी पार्टी समेत सभी विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए।

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सीएम सैनी ने कहा कि क्योंकि ये हमारा पीने के पानी का मुद्दा है। हमें एसवाईएल से भी पानी नहीं मिला। हम भारतीय के रूप में मिलकर काम करेंगे। सीएम भगवंत मान शपथ लेने के बावजूद असंवैधानिक काम कर रहे हैं। पानी किसी एक राज्य का नहीं है, यह देश की संपत्ति है। यह उतना बड़ा नहीं है जितना भगवंत मान ने बनाया है।

उन्होंने कहा कि पानी छोड़ने के बारे में सीएम मान से फोन पर बातचीत हुई है।

उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से बांध का जलस्तर घटता जा रहा था, जिसकी तुलना में आज ये ज्यादा है। 2019 में जलस्तर बढ़ गया और इसे पाकिस्तान भेजना पड़ा। हमें बांध से यह पानी छोड़ना होगा ताकि बाढ़ के दौरान पानी को नियंत्रित किया जा सके। पानी की मांग हर 15 दिन में घटती-बढ़ती रहती है, जिसका निर्णय बीबीएमबी द्वारा किया जाता है। 26 अप्रैल को मैंने भगवंत मान को फोन पर बताया कि 23 अप्रैल को पानी छोड़ने का जो फैसला लिया गया था, उसे लागू नहीं किया गया। इसके बाद भगवंत मान ने कहा कि वह इस मामले की जांच करेंगे। अगले दिन मैंने उन्हें एक पत्र लिखा, जिसका उत्तर नहीं मिला। बाद में उन्होंने एक वीडियो जारी कर इस मुद्दे पर राजनीति शुरू कर दी। हम पंजाब पर कुछ भी नहीं थोप रहे हैं। मान साहब यह कह कर दबाव डाल रहे हैं कि उन्होंने बीबीएमबी का निर्णय स्वीकार नहीं किया है।

दिल्ली की हार का बदला लिया जा रहा है: हरियाणा के सीएम

हरियाणा से पानी छीना जा रहा है। हरियाणा के कई जिलों में पीने के पानी की कमी है। हरियाणा ने कभी भी अपने अधिकारों से अधिक की मांग नहीं की। पंजाब सरकार ने संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाया है। पानी रोकने का यह निर्णय असंवैधानिक है। दिल्ली में आप पार्टी की हार के बाद उन्होंने पीने के पानी की खपत कम कर दी। जब तक वहां आप सरकार थी, उन्हें दिल्ली को पानी मिलने पर कोई आपत्ति नहीं थी। दिल्ली के लोगों को सजा देने के लिए इन लोगों ने हरियाणा के लोगों को भी सजा देना शुरू कर दिया।

हरियाणा ने पंजाब के साथ भाईचारा कायम रखा है। मगर पंजाब सरकार हरियाणा के किसानों के साथ गलत कर रही है। पंजाब सरकार भारत के संघीय ढांचे को कमजोर कर रही है।

 

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