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राजस्थान में गहलोत सरकार के 5 बरस के कार्यकाल में गरीबी चरम पर रही है। हालांकि देश में गरीबी हटाओ का नारा सबसे पहले कांग्रेस पार्टी ही लेकर आई थी, पर राजस्थान में दल ने गरीबी हटाओ के मामले पर, उसके नारे पर और गरीबी हटाने के एजेंडे पर जरा भी कार्य नहीं किया।

बात करें महंगाई की तो इससे भी लोगों की गरीबी बढ़ने पर बड़ा असर पड़ता है। प्याज का उत्पादन राजस्थान में सबसे ज्यादा होता है। उसके बावजूद प्याज की कीमतें ₹100 प्रति किलो तक गई। इसके बाद बात करें टमाटर की तो पूरे देश में सबसे महंगा टमाटर राजस्थान में लगभग चार महीनों तक ₹200 प्रति किलो तक बिका।

इसमें सरकार ने कुछ अपनी तरफ से कदम भी उठाए कि सब्जियों की कीमत कम की जाए, किंतु कुछ भी कारगार साबित नहीं हुआ। सबसे बड़ा मुद्दा जो बीते छह महीनों में रहा वो रहा पेट्रोल के दाम का। ये जानकर आपको कोई बहुत ज्यादा हैरानी नहीं होगी कि देश में सबसे महंगा पेट्रोल मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान में ही मिलता है। यहां पर पेट्रोल पंप एसोसिएशन ने बीच में 2 से 3 दिन की एक हड़ताल भी बुलाई थी। सरकार ने उनसे वादा किया कि वो इस मामले पर सोच विचार करेंगे। पेट्रोल के भाव कम करेंगे पर उसमें भी कोई काम सरकार के द्वारा नहीं किया गया। आखिरकार आज भी पेट्रोल के दाम उतने ही है जितने हड़ताल के पहले थे।

कुल मिलाकर अशोक गहलोत सरकार ने पांच साल में महंगाई को नियंत्रण करने में फेल रही। साथ ही वादा खिलाफी, महंगाई कम करने की जो अशोक गहलोत सरकार ने की है, उससे देखना है कि इस विधानसभा चुनाव में कितना नुकसान कांग्रेस पार्टी को कितना नुकसान अशोक गहलोत को आवाम के द्वारा देखना पड़ेगा। 

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