
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के साथ हालिया ‘गोपनीय लंच’ मुलाकात पर भारत में तीखी प्रतिक्रिया देखी जा रही है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर सहित कई नेताओं ने इस कदम पर चिंता जताई है।
थरूर ने कहा कि यह समरूपता की बड़ी भूल है—“आतंकवादियों और पीड़ितों में कोई समता नहीं होती।” उन्होंने भविष्य में इस तरह की मध्यस्थता की संभावना को पूरी तरह खारिज कर दिया। उनका कहना है कि जब एक देश आतंकियों को पनाह देता है और दूसरा लोकतंत्र की रक्षा करता है, तब इन दोनों के बीच किसी मध्य मार्ग की बात करना गलत और अनुचित है ।
थरूर ने विशेष रूप से उस दावे को नकारा कि ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान के बीच ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान संघर्षविराम कराने में मध्यस्थता की भूमिका निभाई। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ने किसी भी समय किसी तीसरे पक्ष से मदद नहीं मांगी । उनका कहना था कि 10 मई को संघर्षविराम में भारत की सर्वाधिकार वाली भूमिका रही, और पाकिस्तान ने ही भारत से सीजफायर की गुहार लगाई थी।
उन्होंने पाकिस्तान पर 'युद्धपोत' चलाने का आरोप भी लगाया—मुंबई हमले, पहलगाम हमला, ओसामा बिन लादेन जैसे संदिग्धों को पनाह देना—और कहा कि ये सभी इस देश की आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ी वास्तविकताएँ हैं ।
थरूर ने अमेरिका को चेताया कि आतंकवाद और लोकतंत्र की तुलना करना नहीं चाहिए—यह विचार ही गलत है। उन्होंने कहा, “अगर कोई आपकी नाक पर बंदूक रख कर बात करता है, तब ही बातचीत चलेगी—बात करने की अनुमति देना अलग बात है, और असंतुलित रूप से बीच का रास्ता अपनाना अन्य बात।” ।
इस पूरे विवाद में ट्रम्प और असीम मुनीर की लंच बैठक भारत-पाक-अमेरिका संबंधों में एक नए युग की शुरुआत का संकेत दे रही है। पाकिस्तान की ओर से ट्रम्प को नोबेल शांति पुरस्कार देने की बात भी की गई है, जबकि भारत में अनेक विशेषज्ञ इसे दक्षिण एशिया में रणनीतिक साझेदारी के लिए खतरनाक दिखा रहे हैं ।
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