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Up Kiran, Digital Desk: केरल के कन्नूर जिले के गरीबों के लिए 'दो रुपये वाले डॉक्टर' सिर्फ एक चिकित्सक नहीं, बल्कि एक मसीहा थे। डॉक्टर ए.के. रायरू गोपाल का जीवन पूरी तरह समाज सेवा को समर्पित रहा, और उनके निधन के साथ ही एक युग का अंत हो गया है। उनके जाने से न केवल चिकित्सा जगत में एक खालीपन आया है, बल्कि हजारों गरीब मरीजों के दिलों में भी एक बड़ी जगह खाली हो गई है, जिन्हें वह दशकों तक मात्र दो रुपये में इलाज और दवाएं देते रहे।
80 वर्षीय डॉक्टर गोपाल ने अपने घर को ही क्लिनिक में तब्दील कर रखा था, जहाँ हर सुबह चार बजे से मरीजों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती थी। बाद में उम्र और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण उन्होंने समय बदला, लेकिन मरीजों के प्रति उनका समर्पण कभी नहीं बदला। सेवा की भावना इतनी गहरी थी कि जिन मरीजों के पास दवा खरीदने के पैसे नहीं होते थे, उन्हें भी वह मुफ्त में दवा दे देते थे।
डॉ. गोपाल का निधन मई 2024 में क्लिनिक बंद करने के कुछ महीने बाद हुआ। उनके असाधारण योगदान की वजह से उन्हें 'जनता का डॉक्टर' कहा जाने लगा था। कोई उन्हें श्रद्धा से 'दो रुपए वाले डॉक्टर साहब' कहता, तो कोई उन्हें अपना 'परिवार का सदस्य' मानता। उनके निधन के बाद से इलाके में एक भावनात्मक शून्यता पैदा हो गई है। खासकर वे गरीब मरीज जिनके लिए गोपाल एकमात्र उम्मीद थे, अब असहाय महसूस कर रहे हैं।
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