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Up Kiran, Digital Desk: पश्चिम बंगाल के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में लंबित छात्र संघ परिषद चुनावों (Students’ Union Council Elections) को तुरंत संपन्न कराने की मांग वाली कई जनहित याचिकाओं (Public Interest Litigations - PILs) पर शुक्रवार को होने वाली एक महत्वपूर्ण सुनवाई स्थगित (Postponed) कर दी गई, क्योंकि कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) में राज्य सरकार के वकील सुनवाई में शामिल नहीं हुए. इस घटना ने पश्चिम बंगाल की राजनीति (West Bengal Politics) और शैक्षिक परिदृश्य (Educational Scenario) में गहमागहमी बढ़ा दी है.

तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress) के चार बार के लोकसभा सदस्य और हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बनर्जी (Kalyan Banerjee) को राज्य सरकार (State Government) की ओर से पेश होना था. हालांकि, बनर्जी सुनवाई के लिए अंततः उपस्थित नहीं हुए, जिससे कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस सुजॉय पॉल और जस्टिस स्मिता दास डी (Justice Sujoy Paul and Justice Smita Das De) की खंडपीठ ने सुनवाई टाल दी. यह स्पष्ट रूप से सरकार की ओर से लापरवाही (Negligence from Government) और इस मामले में गंभीरता की कमी को दर्शाता है.

अगली सुनवाई 7 अगस्त को: अब सभी पक्षों को होना होगा 'तैयार'!'

सुनवाई की अगली तारीख 7 अगस्त तय की गई है. खंडपीठ ने सभी संबंधित पक्षों (All Parties Concerned) को भी उस दिन अपनी दलीलें और आवश्यक दस्तावेज (Necessary Documents) के साथ सुनवाई के लिए उपस्थित होने का निर्देश दिया है. यह दर्शाता है कि कोर्ट इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाना चाहता है.

याद रहे, 17 जुलाई को कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की तारीख तय करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया था कि वह राज्य के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में लंबित छात्र परिषद चुनावों (Students' Council Elections) को जल्द से जल्द अधिसूचित कर तेजी से पूरा करना सुनिश्चित करे.

उप-कुलपतियों का अभाव बना बहाना, कोर्ट ने कहा 'यह चलेगा नहीं'!

उस दिन, जब राज्य सरकार के वकील ने अदालत को सूचित किया था कि कुछ विश्वविद्यालयों में पूर्णकालिक उप-कुलपतियों (Full-time Vice-Chancellors) की अनुपस्थिति के कारण छात्र परिषद चुनाव नहीं कराए जा सके, तो खंडपीठ ने कहा कि जिन विश्वविद्यालयों में पूर्णकालिक उप-कुलपति हैं, कम से कम वहां चुनाव कराए जाने चाहिए. यह स्थिति राज्य के विश्वविद्यालयों में अकादमिक प्रशासन (Academic Administration in State Universities) की गंभीर समस्या को उजागर करती है.

कलकत्ता हाईकोर्ट ने तब यह भी टिप्पणी की थी कि राज्य सरकार को पहले छात्र परिषद चुनाव कराने के लिए अधिसूचना (Notification) जारी करनी चाहिए, और उसके बाद ही अदालत तय करेगी कि आगे क्या करना है. यह अदालत का स्पष्ट रुख है कि चुनाव की प्रक्रिया जल्द शुरू होनी चाहिए.

यूनियन रूम में हुई रेप की घटना और हाईकोर्ट का सख्त आदेश: क्या था यूनियन रूम को लॉक करने का आदेश?

पिछले महीने, कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने पश्चिम बंगाल उच्च शिक्षा विभाग (West Bengal Higher Education Department) को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया था कि राज्य के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में यूनियन रूम (Union Rooms), जिन्हें अक्सर कॉमन रूम (Common Rooms) भी कहा जाता है, तब तक बंद रहें जब तक कि उन संस्थानों में छात्र चुनाव (Student Elections) नहीं हो जाते और परिणाम घोषित नहीं हो जाते.

कलकत्ता हाईकोर्ट का यह निर्देश काफी महत्वपूर्ण था, खासकर दक्षिण कोलकाता (South Kolkata) के कसबा (Kasba) में साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज (South Calcutta Law College) (न्यू कैंपस) में जून में एक छात्रा के बलात्कार (Rape of a student) के मामले को देखते हुए. जांच में पता चला था कि पीड़िता को तीनों आरोपियों, मनोजित मिश्रा (Monojit Mishra), जयब अहमद (Jaib Ahmed), और प्रमित मुखोपाध्याय (Pramit Mukhopadhyay), ने कैंपस के भीतर कॉमन रूम (Common Room within Campus) में बुलाया था. कॉमन रूम के भीतर कुछ शुरुआती बातचीत के बाद, तीनों आरोपियों ने पीड़िता को वहां से खींचकर बगल के गार्ड रूम (Guard Room) में, जो कैंपस के भीतर ही था, ले गए, और वहीं उसके साथ बलात्कार किया. यह घटना छात्र सुरक्षा (Student Safety) और कैंपस सुरक्षा (Campus Security) पर गंभीर सवाल खड़े करती है, और इसीलिए हाईकोर्ट ने ऐसे सख्त कदम उठाए हैं.

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