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Up Kiran, Digital Desk: दो दशकों से चले आ रहे अंतरराष्ट्रीय बहिष्कार और अस्थिर संबंधों के बीच अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार को पहली बार किसी वैश्विक ताक़त से आधिकारिक मान्यता मिली है। रूस ने हाल ही में इस्लामिक अमीरात अफ़ग़ानिस्तान को औपचारिक रूप से मान्यता देते हुए उस वैश्विक नीति में बदलाव का संकेत दिया है, जो 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से लगभग जमी हुई थी।
मॉस्को ने तालिबान के राजदूत को दी मान्यता
गुरुवार को रूसी विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि उसने मॉस्को में तैनात अफ़ग़ान प्रतिनिधि गुल हसन हसन के परिचय पत्रों को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है। यह क़दम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है, क्योंकि यह तालिबान को किसी देश द्वारा दी गई पहली आधिकारिक मान्यता है। इस घटनाक्रम ने न केवल अफ़ग़ानिस्तान की कूटनीतिक स्थिति को बदला है, बल्कि रूस की विदेश नीति की दिशा भी पुनर्परिभाषित कर दी है।
अफ़ग़ान विदेश मंत्रालय ने बताया ऐतिहासिक क्षण
अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुत्ताकी ने रूस के निर्णय को एक "ऐतिहासिक क़दम" बताते हुए इसे "दूसरे देशों के लिए अनुकरणीय उदाहरण" करार दिया। तालिबान लंबे समय से वैश्विक मान्यता के लिए प्रयासरत रहा है, लेकिन महिलाओं के अधिकारों के हनन और मानवाधिकार उल्लंघनों के चलते उसे अब तक अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता नहीं मिल सकी थी।
तालिबान की वापसी और बदले हालात
2021 में अमेरिका और नाटो सेनाओं की वापसी के बाद अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान ने सत्ता संभाली। शुरुआत में अपेक्षाकृत उदार नीतियों का वादा करने वाले समूह ने शीघ्र ही महिलाओं की शिक्षा, सार्वजनिक जीवन और रोजगार में भागीदारी पर गंभीर प्रतिबंध लगा दिए। नतीजतन, अंतरराष्ट्रीय समुदाय का बड़ा हिस्सा तालिबान से दूरी बनाए रखे हुए था।
फिर भी, तालिबान ने चीन, ईरान और यूएई जैसे देशों से अनौपचारिक या सीमित संपर्क बनाए रखा। लेकिन रूस द्वारा दी गई यह औपचारिक मान्यता, उन प्रयासों को एक नई वैधता प्रदान करती है।
रूस का बदला दृष्टिकोण
कुछ वर्षों पहले तक रूस तालिबान को आतंकवादी संगठन के रूप में सूचीबद्ध करता था। लेकिन अप्रैल 2025 में उसने इस वर्गीकरण को समाप्त कर तालिबान से संबंध सामान्य करने की दिशा में पहला क़दम उठाया था। मौजूदा मान्यता उसी नीति परिवर्तन की अगली कड़ी है।
रूस में अफ़ग़ान राजदूत दिमित्री झिरनोव ने बताया कि यह निर्णय राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की सिफारिश पर लिया गया है। एक टेलीविज़न साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "यह हमारे उस प्रयास को दर्शाता है जिसके ज़रिए हम अफ़ग़ानिस्तान के साथ पूर्ण और रचनात्मक संबंध स्थापित करना चाहते हैं।"
रणनीतिक सोच के पीछे सुरक्षा प्राथमिकता
रूस के लिए यह मान्यता केवल कूटनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक रणनीतिक चाल भी है। अफ़ग़ानिस्तान में स्थिरता और सीमावर्ती मध्य एशियाई देशों में कट्टरवाद की रोकथाम रूस की प्राथमिक चिंता रही है। तालिबान के साथ सीधा संवाद स्थापित कर, मास्को इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है और भविष्य की भूमिका के लिए खुद को तैयार कर रहा है।
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