राजनीति की दुनिया में अक्सर महिला नेताओं को खुद को साबित करने के लिए दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है। आज हम बात करेंगे जापान की एक ऐसी ही ताकतवर नेता, सना ताकाइची की, जिन्हें जापान की 'आयरन लेडी' भी कहा जाता है। प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल ताकाइची के लिए एक मौका ऐसा आया, जब उन्हें पद पर आने से पहले ही अपनी काबिलियत का सबसे बड़ा इम्तिहान देना पड़ा - और वो भी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने।
क्या था वो बड़ा इम्तिहान: जिस समय सना ताकाइची जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने की तैयारी कर रही थीं, उस समय अमेरिका और जापान के बीच व्यापारिक रिश्ते, खासकर ऑटोमोबाइल सेक्टर को लेकर, बेहद तनावपूर्ण थे। डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी उत्पादों, विशेष रूप से फोर्ड जैसी कंपनियों की गाड़ियों को लेकर बहुत मुखर थे और अक्सर जापान पर अमेरिकी बाजार का गलत फायदा उठाने का आरोप लगाते थे।
इसी माहौल में ताकाइची और ट्रंप के बीच एक महत्वपूर्ण मुलाकात होनी थी। इस मुलाकात को ताकाइची के लिए एक 'अर्ली टेस्ट' यानी समय से पहले की परीक्षा माना जा रहा था। दुनिया देख रही थी कि क्या वह ट्रंप के दबाव के आगे झुक जाएंगी या जापान के हितों की मजबूती से रक्षा कर पाएंगी।
फोर्ड ट्रकों से लेकर टैरिफ तक की चुनौती
इस बैठक में कई मुश्किल मुद्दों पर बात होनी थी:
टैरिफ का डर: ट्रंप बार-बार जापानी कारों पर भारी टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने की धमकी दे रहे थे, जिससे जापान की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता था।
फोर्ड ट्रकों का मुद्दा: ट्रंप चाहते थे कि जापान अपनी सड़कों पर ज्यादा से ज्यादा अमेरिकी गाड़ियां, खासकर फोर्ड के ट्रक, देखे।
सुरक्षा समझौता: इसके अलावा, दोनों देशों के बीच सुरक्षा समझौतों को लेकर भी कुछ मतभेद थे।
यह मुलाकात सिर्फ दो नेताओं की मीटिंग नहीं थी, बल्कि यह ताकाइची की नेतृत्व क्षमता का लिटमस टेस्ट था। उन्हें यह साबित करना था कि वह एक मजबूत नेता हैं जो ट्रंप जैसे दिग्गज के सामने भी जापान का पक्ष बिना डरे रख सकती हैं। इस मुलाकात के नतीजों ने न केवल जापान-अमेरिका के रिश्तों की भविष्य की दिशा तय की, बल्कि प्रधानमंत्री पद के लिए ताकाइची की दावेदारी को भी बहुत प्रभावित किया।


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