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Up Kiran, Digital Desk: दुनिया जब क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) के खतरे से जूझ रही है, तब भारत ने इस लड़ाई में एक बड़ी जिम्मेदारी निभाने का फैसला किया है। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई फरवरी 2026 में पहली बार 'मुंबई क्लाइमेट वीक' (MCW) की मेजबानी करने जा रही है। यह घोषणा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की।

यह आयोजन सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया, खासकर 'ग्लोबल साउथ' (विकासशील देशों) के लिए एक बड़ा और महत्वपूर्ण मंच बनने जा रहा है।

क्या है इस आयोजन का मकसद?

'मुंबई क्लाइमेट वीक' का मुख्य उद्देश्य क्लाइमेट चेंज को लेकर सिर्फ बातचीत करने के बजाय ठोस कदम उठाना है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "अब समय आ गया है कि हम जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर बातचीत से आगे बढ़कर एक्शन की तरफ बढ़ें।"

इस कार्यक्रम को 'प्रोजेक्ट मुंबई' ने महाराष्ट्र सरकार के पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग और बीएमसी (BMC) के साथ मिलकर आयोजित किया है। इसका मकसद मुंबई और पूरे महाराष्ट्र के लिए ऐसे मानक तैयार करना है, जो दूसरों को भी प्रेरित करें।

कौन-कौन होगा शामिल: यह एक ग्लोबल इवेंट होगा, जिसमें 30 से ज़्यादा देशों के प्रतिनिधि शामिल होने की उम्मीद है। इसमें शहर के नेता, राज्यों के मुख्यमंत्री, कॉर्पोरेट्स, सिविल सोसाइटी ग्रुप और सबसे बढ़कर, युवा और छात्र भी शामिल होंगे ताकि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए एक प्रैक्टिकल एक्शन प्लान तैयार किया जा सके।

न्यूयॉर्क क्लाइमेट वीक' के आयोजक 'द क्लाइमेट ग्रुप' समेत कई बड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं भी इस पहल का हिस्सा बनी हैं।

किन मुद्दों पर रहेगा फोकस?

पहले 'मुंबई क्लाइमेट वीक' में मुख्य रूप से तीन विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:

एनर्जी ट्रांजिशन (ऊर्जा संक्रमण): कोयले और पेट्रोल से हटकर सौर और पवन ऊर्जा जैसे विकल्पों पर जोर।

अर्बन रिजीलियंस (शहरी लचीलापन): शहरों को बाढ़ और गर्मी जैसी आपदाओं के लिए तैयार करना।

यह आयोजन भारत को क्लाइमेट एक्शन के क्षेत्र में एक ग्लोबल लीडर के तौर पर स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।