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Up Kiran, Digital Desk: एयर इंडिया के विमान हादसे की हालिया जांच रिपोर्ट ने एक नया विवाद जन्म दिया है, और अब इस पर एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ALPA) ने कड़ा विरोध जताया है। उनका कहना है कि इस रिपोर्ट में पायलटों की गलती को गलत तरीके से प्रमुख रूप से पेश किया गया है, और इसकी दिशा स्पष्ट रूप से एकतरफा लगती है। पायलट्स एसोसिएशन ने इस रिपोर्ट को नकारते हुए जांच की निष्पक्षता और तथ्यात्मकता की मांग की है।

गोपनीयता और पारदर्शिता की कमी पर सवाल

एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ने एक बयान में आरोप लगाया कि यह रिपोर्ट बिना किसी जिम्मेदार अधिकारी की सहमति या हस्ताक्षर के मीडिया में लीक की गई है। संगठन का मानना है कि इस तरह की जानकारी का सार्वजनिक होना जांच प्रक्रिया के पारदर्शी और निष्पक्ष होने की संभावना को कम कर देता है। एसोसिएशन का कहना है कि जब तक जांच पूरी तरह से गोपनीय नहीं होगी, तब तक इसकी विश्वसनीयता और जनता का विश्वास बनाए रखना मुश्किल होगा। इसके अलावा, अनुभवहीन कर्मचारियों को जांच दल में शामिल करने से सही निष्कर्ष पर पहुंचने की संभावना और भी कम हो जाती है।

दुर्घटना की असली वजह क्या थी?

यह विमान हादसा 12 जून को हुआ था, जिसमें 260 लोगों की जान चली गई थी। एयर इंडिया का विमान एआई 171 अहमदाबाद से ब्रिटेन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए उड़ान भर रहा था, जब टेकऑफ के तुरंत बाद हादसा हो गया। शुरुआती जांच में सामने आया कि विमान के दोनों ईंधन स्विच एक साथ कट ऑफ हो गए थे, जिसके कारण इंजन को ईंधन नहीं मिल सका और विमान हादसे का शिकार हो गया। हालांकि, इस कारण की जांच और भी गहरे स्तर पर होनी चाहिए थी, जो कि अभी तक सही तरीके से नहीं हो पाई है।

जांच पर उठते सवाल और जाँच प्रक्रिया की कमजोरियां

एसोसिएशन का कहना है कि जांच की दिशा पहले से तय लगती है, और इसमें पायलटों के खिलाफ पूर्वाग्रह नजर आता है। अगर जिम्मेदार अधिकारियों की तरफ से रिपोर्ट में कोई स्पष्टता नहीं आती, तो इससे विमानन उद्योग और यात्रियों के बीच गलत संदेश जाएगा। पायलट्स एसोसिएशन ने यह भी कहा कि एयरलाइन के वरिष्ठ और अनुभवी कर्मचारियों को इस जांच में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि सही निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके।