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Mahakumbh 2025: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले के संगम तट पर एक दृश्य बार-बार नजर आता है। एक महिला, जिसके हाथ में गंभीर घाव हैं, तड़पती हुई दिखाई देती है। उसकी आंखों में दर्द और संघर्ष की कहानी है। उसके सामने एक थाली है, जिसमें श्रद्धालु सिक्के, नोट और अनाज डालकर आगे बढ़ जाते हैं। वह बार-बार अपने घाव को दिखाती है, जैसे कि यह उसकी सबसे बड़ी पहचान हो। शाम के समय जब सर्द हवा चलने लगती है, वह उठती है, पैसे समेटती है और एक व्यक्ति के साथ मिलकर अनाज की बोरी भरकर चली जाती है।

महाकुंभ में ऐसे दृश्य आम हैं। यहां एक समूह में महिलाएं, पुरुष और बच्चे, हाथ-पैर में घाव के निशान के साथ संगम में पहुंचे हैं। ये लोग दिनभर भीख मांगते हैं और फिर वापस लौट जाते हैं। लेकिन सवाल यह है कि ये लोग कहां से आए हैं?

पुलिस के अनुसार, महाकुंभ मेला शुरू होने से पहले करीब 7,000 भिखारी संगम तट पर थे। लेकिन जैसे-जैसे मेला बढ़ा, उनकी संख्या भी बढ़ती चली गई और अब यह संख्या 50,000 तक पहुंच गई है। इनमें से अधिकांश भिखारी प्रयागराज जिले के हैं, जबकि कुछ पड़ोसी जिलों जैसे प्रतापगढ़, मिर्जापुर, चित्रकूट, वाराणसी और कौशांबी से भी आए हैं। इसके अलावा, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के भिखारी भी यहां अपनी किस्मत आजमाने आए हैं।

महाकुंभ के 25 सेक्टर में फैले इस मेले में, सबसे ज्यादा कुशलता से एक्टिंग करने वाले भिखारी प्राइम लोकेशन पर बैठे हैं। यह पूरा एरिया 40 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें 10 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र प्राइम लोकेशन माना जाता है। संगम घाट, किला, अक्षय वट, प्रमुख अखाड़े और लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर जैसे स्थानों पर भिखारियों की बड़ी तादाद देखी जा सकती है। यहां आप जिधर भी जाएंगे, आपको भीख मांगते लोग नजर आएंगे। अगले दिन जब आप फिर से आएंगे, तो आपको वही भिखारी उसी स्थान पर दिखाई देंगे।