Up Kiran, Digital Desk: नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा की भक्ति और आराधना का समय होता है। बहुत से लोग अपने घरों में कलश स्थापना करके पूरे नौ दिन तक विधि-विधान से मां की पूजा करते हैं। लेकिन कई बार, कुछ वजहों से जैसे कि जगह की कमी, सामग्री का न मिल पाना या जानकारी के अभाव में लोग कलश स्थापना नहीं कर पाते। ऐसे में मन में यह सवाल उठता है कि क्या बिना कलश स्थापना के भी हमारी पूजा सफल होगी?
तो इसका जवाब है, हां, बिल्कुल होगी। मां दुर्गा सिर्फ भाव की भूखी हैं, उन्हें आडम्बर या दिखावा नहीं चाहिए। अगर आप सच्चे मन और पूरी श्रद्धा से उनकी पूजा करते हैं, तो बिना कलश स्थापना के भी आपको उतना ही फल मिलेगा। आइए जानते हैं इसकी सरल विधि क्या है।
बिना कलश स्थापना के ऐसे करें पूजा
पूजा स्थान की सफाई: सबसे पहले, अपने घर के पूजा स्थान या किसी भी साफ-सुथरी जगह को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें।
चौकी स्थापित करें: वहां एक लकड़ी की चौकी रखें और उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति: अब उस चौकी पर मां दुर्गा की कोई तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। अगर आपके पास श्रीयंत्र है तो उसे भी साथ में स्थापित कर सकते हैं।
मां का श्रृंगार: मां दुर्गा को लाल चुनरी ओढ़ाएं और उन्हें कुमकुम, अक्षत (चावल), सिंदूर और लाल फूल अर्पित करें।
अखंड ज्योति जलाएं: अगर संभव हो, तो नौ दिनों के लिए देसी घी का एक अखंड दीपक जलाएं। अगर यह संभव नहीं है, तो आप सुबह-शाम पूजा के समय दीपक जला सकते हैं।
सरल भोग लगाएं: मां को किसी भी फल, मिठाई या घर में बने सात्विक भोजन का भोग लगाएं। याद रखें, भोग में प्रेम और श्रद्धा होना सबसे जरूरी है।
मंत्र और पाठ: अब शांत मन से दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ या फिर मां दुर्गा के बीज मंत्र "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै" का 108 बार जाप करें।
आरती और क्षमा प्रार्थना: अंत में, कपूर जलाकर मां दुर्गा की आरती करें। पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए हाथ जोड़कर क्षमा मांगें।
यह विधि बहुत ही सरल है, लेकिन उतनी ही प्रभावशाली भी है। याद रखिए, पूजा-पाठ में विधि-विधान से ज्यादा महत्वपूर्ण आपकी सच्ची श्रद्धा और साफ मन होता है। मां दुर्गा अपने हर बच्चे की पुकार सुनती हैं, चाहे वह किसी भी रूप में की गई हो।
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