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वृंदावन की पावन धरती पर जब श्रद्धालु प्रेमानंद जी महाराज के दर्शन के लिए पहुंचते हैं, तो न केवल आध्यात्मिक शांति की तलाश करते हैं, बल्कि अपने जीवन की कठिन समस्याओं का समाधान पाने की भी अपेक्षा रखते हैं। प्रेमानंद जी महाराज अपनी सहजता और अच्छे मार्ग दर्शन के लिए जाने जाते हैं। हाल ही में उनके साथ एक ऐसी घटना घटी जिसने वहाँ उपस्थित सभी लोगों को स्तब्ध कर दिया।

एक युवक समलैंगिक संबंधों के कारण मानसिक पीड़ा से गुजर रहा था। वो प्रेमानंद जी महाराज से मिलने पहुंचा। उसने खुलकर स्वीकार किया कि वह अब तक 150 से अधिक मर्दों के साथ संबंध बना चुका है और अब वह इस जीवनशैली से बाहर निकलना चाहता है क्योंकि यह उसे भीतर से कचोटता है। उसकी यह बात सुनकर वहां मौजूद लोग हैरान रह गए।

प्रेमानंद जी महाराज ने उस युवक की बात को बिना किसी आलोचना के सुना और बड़ी शांति से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि ये आपकी उपज नहीं है। आपको ये चीज पसंद भी नहीं है। यह आपके दिमाग में जमा बैठी गंदगी है। ये केवल एक संस्कार मात्र है। अगर आप इससे लड़कर जीतते नहीं हैं, तो आपकी छवि खराब होगी। हमें ये शरीर संसार से जीतने के लिए मिला है, ना कि इस संस्कार में मिट जाने के लिए। महाराज ने सलाह दी कि फोन का इस्तेमाल वो कम करें और ध्यान जैसी चीजों में ज्यादा मन लगाए।

महाराज जी के इस उत्तर ने न केवल युवक को राहत दी, बल्कि वहां मौजूद अन्य श्रद्धालुओं को भी गहरी सोच में डाल दिया। ये घटना बताती है कि कैसे अध्यात्म और मनोविज्ञान का संतुलन बनाकर समाज में गूढ़ मुद्दों पर सकारात्मक संवाद की शुरुआत की जा सकती है।