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Up Kiran, Digital Desk: भारत की दिवालिया हो चुकी वित्तीय सेवा कंपनी IL&FS (इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज) ने कनाडा की प्रमुख परिसंपत्ति प्रबंधन फर्म ब्रुकफील्ड (Brookfield) द्वारा उसकी सड़क परिसंपत्तियों (road assets) के लिए दी गई बोली के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) का रुख किया है। यह मामला IL&FS की जटिल समाधान प्रक्रिया (resolution process) में एक नया मोड़ लेकर आया है।

क्या है मामला?
ब्रुकफील्ड ने IL&FS की कुछ सड़क परिसंपत्तियों के अधिग्रहण के लिए एक बोली लगाई थी। IL&FS ने NCLT में दायर अपनी याचिका में ब्रुकफील्ड की बोली की वैधता और शर्तों पर सवाल उठाया है। सूत्रों के अनुसार, IL&FS का तर्क है कि ब्रुकफील्ड की बोली कुछ शर्तों का पालन नहीं करती है या कंपनी के लिए सबसे अनुकूल प्रस्ताव नहीं है, खासकर तब जब उसे अपने भारी कर्ज को चुकाना है।

IL&FS, जो कई वर्षों से एक बड़े कर्ज संकट से जूझ रही है, सरकार द्वारा नियुक्त एक नए बोर्ड के अधीन है। इस बोर्ड का मुख्य उद्देश्य कंपनी की परिसंपत्तियों को बेचकर लेनदारों का पैसा चुकाना है और कंपनी को वित्तीय रूप से स्थिर करना है। यह प्रक्रिया काफी जटिल रही है, जिसमें कई कानूनी और नियामक बाधाएं आई हैं।

NCLT दिवालियापन और कंपनी से संबंधित मामलों को सुलझाने के लिए एक अर्ध-न्यायिक निकाय है। IL&FS द्वारा NCLT का रुख करना दर्शाता है कि वे ब्रुकफील्ड की बोली के कुछ पहलुओं से संतुष्ट नहीं हैं और ट्रिब्यूनल से इस मामले में हस्तक्षेप करने और न्यायपूर्ण समाधान निकालने का अनुरोध कर रहे हैं।

यह मामला भारत के दिवालियापन और ऋण समाधान तंत्र (Insolvency and Bankruptcy Code - IBC) की जटिलताओं को भी उजागर करता है, जहां परिसंपत्तियों के मूल्यांकन और बिक्री में विभिन्न हितधारकों के बीच विवाद उत्पन्न हो सकते हैं। NCLT अब इस मामले की सुनवाई करेगा और ब्रुकफील्ड की बोली की वैधता पर अपना फैसला सुनाएगा, जिसका IL&FS की समाधान प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।

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