Up Kiran, Digital Desk: बांग्लादेश में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) को लेकर विवाद और विरोध बढ़ता जा रहा है। कट्टरपंथी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम ने बांग्लादेश सरकार से इस संगठन पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की है। शुक्रवार को चटगांव में इस मुद्दे को लेकर एक बड़े विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिसमें हिफाजत के सदस्य और उनके समर्थक सड़कों पर उतर आए।
हिफाजत-ए-इस्लाम का दावा: ISKCON हिंदू नहीं, यहूदियों का संगठन है
हिफाजत-ए-इस्लाम के सदस्यों ने ISKCON पर आरोप लगाया है कि यह हिंदू धर्म से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह एक यहूदी चरमपंथी संगठन है। संगठन के प्रमुख सदस्य अशरफ बिन याकूब ने कहा, "सरकार को बांग्लादेश में ISKCON पर तुरंत प्रतिबंध लगा देना चाहिए।" उनका कहना था कि इस्कॉन द्वारा किए गए अपराधों और हिंसा की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए यह कदम जरूरी है।
बांग्लादेश में धार्मिक संघर्ष: हिंदू समुदाय पर हमले और विरोध
यह घटनाक्रम उस समय में हुआ है जब बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमले बढ़ गए थे। इस्कॉन के पूर्व सदस्य चिन्मय कृष्ण दास के समर्थकों और पुलिस के बीच संघर्ष में एक वकील आलिफ की हत्या हो गई थी। इस मामले में आरोपियों को गिरफ्तार करने और उन्हें सजा देने की मांग भी उठ रही है।
विरोध प्रदर्शनों के दौरान, वक्ताओं ने सरकार से यह भी अनुरोध किया कि वह उन आरोपियों को जमानत न दे, जिनके खिलाफ इस हत्या के मामले में आरोप हैं। विरोध के इस नए दौर में, इंतिफादा बांग्लादेश ने भी ढाका में विरोध प्रदर्शन कर सरकार के सामने छह अहम मांगें रखी। इन मांगों में से एक प्रमुख मांग ISKCON पर प्रतिबंध लगाने की थी।
शेख हसीना सरकार के बाद विरोध में उबाल
अगस्त 2024 में बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद से इस्कॉन और हिंदू समुदाय के खिलाफ विरोध और हिंसा में वृद्धि देखी जा रही है। कई मंदिरों और केंद्रों को निशाना बनाया गया है, और कृष्ण दास प्रभु जैसे प्रमुख हिंदू नेताओं को जेल में रखा गया है।
हाल ही में, बांग्लादेश फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट ने ISKCON के 17 सदस्यों के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया था, जो यह दर्शाता है कि सरकार द्वारा संगठन पर दबाव बनाने के प्रयास बढ़ गए हैं।
_11096076_100x75.jpg)
 (1)_636487358_100x75.jpg)
_1871479921_100x75.png)
 (1)_153596001_100x75.jpg)
_2045567479_100x75.png)