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Up Kiran, Digital Desk: स्वामी विवेकानंद स्वयं अपने लक्ष्य प्राप्ति के प्रति सचेत थे। अपने कार्यों के माध्यम से उन्होंने युवाओं को सिखाया, उठो, जागो। ये पहले दो शब्द क्या कहते हैं? हम प्रतिदिन जागते हैं, लेकिन अपने लक्ष्य के प्रति जागते नहीं हैं। इसलिए जागने के बाद भी हम ऐसे सुस्त रहते हैं, जैसे कि हम सो रहे हों। हमें आलस्य, अज्ञानता और अंधविश्वास को दूर कर लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

लक्ष्य क्या है?

पहला लक्ष्य है अपनी मूलभूत आवश्यकताओं और सांसारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करना और दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है खुद को जानना। लोग पहले लक्ष्य में इतने उलझ जाते हैं कि उन्हें दूसरे लक्ष्य तक पहुंचना भी याद नहीं रहता। वे वहीं रुक जाते हैं और इसे ही अपने जीवन का अंत मान लेते हैं। इसलिए उपरोक्त दो शब्दों में तीसरा शब्द जोड़ते हुए स्वामीजी कहते हैं, उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य तक न पहुंच जाओ!

हमें अपने जीवन का लक्ष्य जानना चाहिए। इसे जानने के लिए हमें खुद को जानना चाहिए। जो स्वयं को जानता है, वह ईश्वर को जानता है। क्योंकि, वह हमारे भीतर है। यह पहचान उस व्यक्ति के लिए विश्वास है, संसार में कोई भेदभाव नहीं है। इसलिए जब स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में सर्वधर्म सम्मेलन में उपस्थित सभी लोगों को संबोधित किया तो वहां खूब तालियां बजीं। क्योंकि 'हम सब एक हैं' हर धर्म की मूल शिक्षा है। 

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