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Up kiran,Digital Desk : सोचिए, नोटबंदी को 9 साल बीत चुके हैं। 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट अब रद्दी के बराबर हैं। लेकिन क्या हो, अगर आपको पता चले कि आज भी करोड़ों रुपये के ये 'बेकार' नोट बोरियों में भरकर रखे हैं?

जी हां, दिल्ली में कुछ ऐसा ही हुआ है। नॉर्थ दिल्ली के वजीरपुर इलाके में पुलिस ने जब एक गाड़ी पर छापा मारा, तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं। गाड़ी में बोरियां भरी हुई थीं, और उन बोरियों में थे 3.60 करोड़ रुपये के पुराने 500 और 1000 के नोट! इस मामले में पुलिस ने चार लोगों को मौके से ही धर-दबोचा है।

आखिर इतने सालों बाद इन रद्दी हो चुके नोटों का क्या किया जा रहा था?

जब पुलिस ने गिरफ्तार हुए लोगों से सख्ती से पूछताछ की, तो इस खेल के पीछे की कहानी और भी दिलचस्प निकली। ये लोग सिर्फ मोहरे थे, असली मास्टरमाइंड तो कोई और ही है। गिरफ्तार हुए लोगों ने बताया कि उन्हें तरुण और आशीष नाम के दो शख्स ने ये नोट दिए थे और इन्हें ठिकाने लगाने के बदले 20% कमीशन का लालच दिया था। यानी, ये लोग सिर्फ थोड़े से पैसों के लालच में करोड़ों के इस काले धन को इधर-उधर कर रहे थे।

चल रहा था झूठ का एक और बड़ा खेल

यह गैंग सिर्फ पुराने नोटों को ठिकाने ही नहीं लगा रही थी, बल्कि आम लोगों को ठगने का एक नया जाल भी बिछा रही थी।

  • ये लोग अफवाह फैला रहे थे कि "आधार कार्ड दिखाकर RBI में अभी भी पुराने नोट बदले जा सकते हैं।"
  • इसी झूठी कहानी के दम पर, वे दूसरे लोगों से उनके बचे-खुचे पुराने नोट भी ले रहे थे और उन्हें नए नोट देने का झांसा दे रहे थे।

अब पुलिस क्या कर रही है?

  1. इतनी बड़ी मात्रा में यह पैसा आखिर आया कहाँ से?
  2. इस पूरे नेटवर्क के असली मास्टरमाइंड, तरुण और आशीष कहाँ हैं?

पुलिस की टीमें अब इन दोनों की तलाश में जुट गई हैं और इस काले धन के असली स्रोत का पता लगाने की कोशिश कर रही हैं। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि नोटबंदी के सालों बाद भी काले धन के कुबेर अपने 'खजाने' को बचाने के लिए नए-नए रास्ते ढूंढ़ ही लेते हैं।