Independence day 2024: भारत का राष्ट्रगान "जन गण मन" रवींद्र नाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था। इसे सबसे पहले बंगाली में "भारतो भाग्यो बिधाता" की भाषा शैली में लिखा गया था। इस की रचना 11 दिसंबर सन् 1911 को हुई थी और इसे 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान माना गया।
राष्ट्रगान 52 सेकंड लंबा है और भारत की विविधता और एकता के बारे में बात करता है। ये अलग अलग संस्कृतियों, जाति, पंथ और धर्म के बारे में भी बात करता है। राष्ट्रगान पहली बार 27 दिसंबर 1911 को कोलकाता (तब कलकत्ता) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के सत्र में रवींद्रनाथ टैगोर की भतीजी द्वारा उनके स्कूल में गाया गया था।
राष्ट्रगान "साधु भाषा" में लिखा गया था, यानी, अत्यधिक संस्कृतकृत। देवनागरी संस्करण वो है जिसे हम गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस आदि जैसे मौकों पर गाते हैं।
जन-गण-मन-अधिनायक जय हे
भारत-भाग्य-विधाता
पंजाब-सिंधु-गुजरात-मराठा
द्राविड़-उत्कल-बंग
विंध्य-हिमाचल-यमुना-गंगा
उच्छल-जलधि-तरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष मांगे,
गाहे तव जय-गाथा ।
जन-गण-मंगल-दायक जय हे
भारत भाग्य विधाता ।
जय हे, जय हे, जय हे,
जय जय जय जय हे ।
राष्ट्रगान का अर्थ जानें
जन गण मन अधिनायक जय हे भारत भाग्य विधाता: यह भारत के समग्र जनसंख्या के समक्ष राष्ट्रीय एकता और शासन के प्रतीक के रूप में सराहा जाता है, और इसे राष्ट्र के भाग्य का निर्माता माना जाता है।
पंजाब सिंधु गुजरात मराठा द्राविड़ उत्कल बंग: यह भारत के अलग अलग क्षेत्रों और राज्यों का उल्लेख करता है, जो देश की विविधता और एकता को दर्शाते हैं।
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा उच्छल जलधि तरंग: यहां भारत की प्रमुख नदियों और पर्वतों का उल्लेख किया गया है, जो देश की प्राकृतिक सुंदरता और विविधता को दर्शाते हैं।
तव शुभ नामे जागे तव शुभ आशिष मांगे: यह राष्ट्र के शुभ और मंगलमय भविष्य की कामना करता है, और उसके नाम की महिमा का गुणगान करता है।
गाहे तव जयगाथा: यह राष्ट्र के विजय गीत का उल्लेख करता है, जो लोगों को प्रेरित और एकजुट करता है।
जन गण मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता: यह राष्ट्र के भाग्य विधाता और उसके मंगलकारी प्रभाव की सराहना करता है।
जय हे जय हे जय हे जय जय जय जय हे: यह राष्ट्र के प्रति सम्मान और गर्व को दर्शाता है।
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