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Up Kiran, Digital Desk: लगभग हर भारतीय घर में सुबह-शाम होने वाली पूजा का एक अभिन्न हिस्सा है अगरबत्ती। इसकी सुगंध वातावरण को भक्तिमय बना देती है और मन को शांति देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस अगरबत्ती को हम इतने पवित्र भाव से भगवान के सामने जलाते हैं, उसे शास्त्रों में पूजा के लिए अशुभ माना गया है? कई लोगों को यह बात हैरान कर सकती है, लेकिन इसके पीछे ठोस धार्मिक और शास्त्रीय कारण हैं।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य और पंडितों के अनुसार, पूजा-पाठ में अगरबत्ती का प्रयोग वर्जित माना गया है। आइए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों है और इसका सही विकल्प क्या है।

अगरबत्ती क्यों है अशुभ?

अगरबत्ती के अशुभ होने का मुख्य कारण है इसमें इस्तेमाल होने वाली 'बांस' की सींक। अगरबत्ती का सुगंधित मसाला बांस की पतली सींक पर लपेटा जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं और शास्त्रों में बांस को जलाना पूरी तरह से निषिद्ध है। इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:

तो पूजा में क्या जलाना चाहिए?

अगरबत्ती का सबसे शुद्ध और शास्त्रीय विकल्प है 'धूपबत्ती' या 'धूप'। धूप को जलाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। धूप पूरी तरह से जड़ी-बूटियों, गूगल, कपूर, घी और अन्य पवित्र और सुगंधित सामग्रियों से मिलकर बनती है। इसमें किसी भी तरह की लकड़ी या बांस का प्रयोग नहीं होता है।

धूप जब जलती है, तो वह पूरी तरह से जलकर राख हो जाती है और कुछ भी शेष नहीं बचता। यह समर्पण का प्रतीक है। धूप जलाने से वातावरण शुद्ध होता है, नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। इसलिए पूजा में हमेशा अगरबत्ती की जगह धूप का ही इस्तेमाल करना चाहिए।