
बिहार चुनाव आयोग द्वारा चलाये जा रहे Special Intensive Revision (SIR) अभियान में मुजफ्फरपुर जिले की मतदाता सूची में लगभग 2,83,000 नाम हटाने का निर्णय लिया गया है। यह कार्रवाई मृतक, अनुपस्थित या अन्य विधानसभा क्षेत्रों में स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं को आधार बनाकर की गई है।
जिले की 11 विधानसभा क्षेत्रों में सर्वेक्षण और enumeration फॉर्म अपलोड होने के बाद हुई गणना में यह निष्कर्ष निकला कि 1,11,226 मतदाता मृत पाए गए, 41,585 अनुपस्थित मिले और 1,02,202 स्थाई रूप से दूसरी जगह चले गए हैं। कुल मिलाकर लगभग 8.15% मतदाता या तो मृत, अनुपस्थित या डुप्लीकेट पाए गए हैं।
चुनाव आयोग ने कहा है कि इन हटाए गए नामों के खिलाफ मतदाताओं को 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक दावा‑आपत्ति दर्ज कराने का मौका मिलेगा। इसके बाद 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होगी, जिसमें शामिल होने वाले योग्य मतदाताओं के नाम जोड़े जा सकेंगे।
SIR के दौरान तथ्यात्मक सफाई से राज्य भर में कुल 52 लाख से अधिक नाम हटाए जा चुके हैं — जिनमें से लगभग 18 लाख मृत, 26 लाख स्थायी रूप से स्थानांतरित और 7 लाख डुप्लीकेट पंजीकरण वाले थे।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त Gyanesh Kumar ने राजनीतिक दबाव के बावजूद यह सुनिश्चित किया कि मृत, विदेशी, डुप्लीकेट या प्रवासियों के नाम हटाए जाएँ ताकि चुनाव प्रणाली की स्वच्छता बरकरार रहे। दूसरी ओर, विपक्षी दलों, विशेषकर INDIA ब्लॉक, ने इस प्रक्रिया को “institutional arrogance” और गैर‑पारदर्शी बताया है जिसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला करार दिया गया है।
राज्य के विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि SIR के तहत चुनाव प्रभावित करने के उद्देश्य से Yadav और अन्य समुदायों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केवल 1 प्रतिशत हटाने से भी चुनाव परिणाम प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि कई सीटें बहुत छोटे मत अंतर से जीती जाती हैं।
मुजफ्फरपुर के मतदाता और राजनीतिक पर्यवेक्षक इस बदलाव को गम्भीरता से देख रहे हैं। कुछ ने सुझाव दिया कि मतदाता सूची की यह सफाई सही दिशा है, तो कुछ बोले कि इस प्रक्रिया में अभी सुधार और व्यापक जानकारी नागरिकों को समय रहते प्रदान की जानी चाहिए।
मतदान के अधिकार से किसी को वंचित होने से बचाने के लिए दावा‑आपत्ति की अवधि और नागरिक जागरूकता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
--Advertisement--