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Up Kiran , Digital Desk:  उत्तर प्रदेश के एटा जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने हर सुनने वाले का दिल दहला दिया है। आलमपुर गांव में एक नकाबपोश बदमाश ने 11 साल के मासूम बच्चे की जिस बेरहमी से हत्या की है वह मानवता को शर्मसार करने वाली है। बच्चे के शरीर पर चाकू के अनगिनत वार और पत्थर से किए गए हमले के निशान देखकर हर कोई स्तब्ध है। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है।

बुधवार की सुबह एटा के आलमपुर गांव के एक आम के बाग में 11 वर्षीय अनुज कुमार का रक्तरंजित शव मिला। हत्यारे ने मासूम की आंखें तक फोड़ दी थीं। उसके चेहरे, गले, पेट और गुप्तांगों पर चाकू से निर्मम जख्म किए गए थे। इस भयावह दृश्य ने घटनास्थल पर मौजूद हर व्यक्ति को हिला कर रख दिया।

मृतक अनुज कुमार अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। इस बर्बर हमले में उसके दो साथी 11 वर्षीय अजीत और 12 वर्षीय नितिन भी घायल हुए हैं। अनुज की मां की तहरीर पर मिरची थाना पुलिस ने अज्ञात हमलावर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और जांच कर रही है।

बाग में शौच के लिए गए थे मासूम

पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार अनुज अपने साथियों के साथ सुबह करीब 8:30 बजे गांव के बाहर आम के बाग में शौच के लिए गया था। इसी दौरान मुंह पर गमछा बांधे हुए एक अज्ञात व्यक्ति ने अचानक बच्चों पर चाकू से हमला कर दिया। अजीत और नितिन किसी तरह हमलावर के चंगुल से छूटकर भागने में सफल रहे मगर दुर्भाग्यवश अनुज को पकड़ लिया गया और उस पर ताबड़तोड़ चाकू से वार किए गए जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घायल नितिन को भी चाकू लगा है।

घायल बच्चों ने घर पहुंचकर अपने परिजनों को इस भयानक घटना की जानकारी दी। सूचना मिलते ही परिजन तुरंत आम के बाग की ओर दौड़े मगर तब तक हमलावर वहां से फरार हो चुका था। घटना की गंभीरता को देखते हुए थाना पुलिस के साथ-साथ उच्च अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और हमलावरों की तलाश शुरू कर दी गई है। पुलिस ने बाग के मालिक और उससे सटे खेत के मालिक को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।

इकलौते बेटे की मौत से परिवार में कोहराम

अनुज अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था और उसकी तीन बहनें हैं। इस हृदयविदारक घटना के बाद से पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। अनुज की मां और तीनों बहनें गहरे सदमे में हैं। पिता सुनील कुमार जो दिल्ली में मजदूरी करते हैं और दो दिन पहले ही गांव लौटे थे की आर्थिक स्थिति भी कमजोर है। उनकी पत्नी मिथलेश घर चलाने के लिए खेतों में मजदूरी करती हैं।

अपनी इकलौती संतान को खोने के गम में डूबी मां मिथलेश बार-बार अपने बेटे का नाम लेकर बेहोश हो जा रही हैं। वहीं अनुज की रोती-बिलखती बहनें यह सोचकर व्याकुल हैं कि अब वे किसे राखी बांधेंगी और किसके साथ भाई दूज का त्योहार मनाएंगी।

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