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प्राकृतिक सुंदरता, तीर्थ स्थलों और शांति के लिए मशहूर उत्तराखंड अब एक नई पहचान की ओर बढ़ रहा है – और वह है अपराधियों की सुरक्षित पनाहगाह। हाल के वर्षों में प्रदेश में अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, जिससे आमजन की चिंता भी बढ़ गई है।

पुलिस और प्रशासन की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड की सीमाएं अन्य राज्यों से लगी होने के कारण अपराधी यहां आकर आसानी से छिप सकते हैं। खासकर दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा से जुड़े मामलों में पाया गया है कि कई कुख्यात अपराधी उत्तराखंड में रहकर अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।

हाल ही में ड्रग्स तस्करी, फर्जी दस्तावेज बनवाना, साइबर क्राइम और अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त जैसे गंभीर अपराधों में उत्तराखंड का नाम सामने आया है। कई अपराधी तो पर्यटन के बहाने प्रदेश में दाखिल होते हैं और फिर लंबे समय तक पहाड़ी इलाकों में रहकर कानून से बचते रहते हैं।

प्रदेश की पुलिस भले ही समय-समय पर कार्रवाई कर रही हो, लेकिन सीमावर्ती इलाकों में निगरानी की कमी और टेक्नोलॉजी की सीमित पहुंच इन अपराधों को बढ़ावा दे रही है।

विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड में तेजी से हो रहे शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि के चलते अपराध नियंत्रण एक चुनौती बनता जा रहा है। अगर समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए तो यह शांत प्रदेश अपराध का नया केंद्र बन सकता है।

 

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