_1326941762.png)
Up Kiran, Digital Desk: ईरान में चाबहार बंदरगाह को लेकर भारत गंभीर है। मई 2024 में भारत ने इस बंदरगाह में शाहिद बेहेश्टी टर्मिनल को 10 साल तक संचालित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। यह बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए सीधा मार्ग देता है। इससे पाकिस्तान को किनारे किया जा सकता है। इससे चीन के ग्वादर बंदरगाह के प्रभाव को कम करने में भी मदद मिलती है। हालांकि, चाबहार बंदरगाह, INSTC गलियारे पर इजरायल-ईरान और पश्चिमी प्रतिबंधों से चाबहार बंदरगाह और INSTC गलियारे पर असर पड़ सकता है। काम में किसी भी तरह की बाधा से बचने के लिए भारतीय और ईरानी अधिकारी लगातार चाबहार बंदरगाह पर चर्चा कर रहे हैं।
चाबहार बंदरगाह भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भारत पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) बंदरगाह का संचालन कर रहा है। यह बंदरगाह भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया से सड़क मार्ग से जोड़ता है। इससे पाकिस्तान के रास्ते की जरूरत खत्म हो जाएगी। साथ ही चीन के ग्वादर बंदरगाह का प्रभाव भी कम हो गया है।
10 साल का करार हुआ
मई 2024 में भारत ने शहीद बेहेश्टी टर्मिनल को 10 साल तक संचालित करने के लिए करार किया था। यह करार भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का संकेत है। आईपीजीएल जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट और कांडला पोर्ट ट्रस्ट का संयुक्त उपक्रम है। यह ईरान के बनादर पोर्ट के साथ मिलकर काम करता है।
भारत ने इस पोर्ट के विकास के लिए 85 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। इससे बर्थ को अपग्रेड किया जाएगा। इसके अलावा एक्जिम बैंक ने 150 मिलियन डॉलर का लोन दिया है। चाबहार-जाहेदान रेलवे के लिए स्टील के आयात की सुविधा के लिए 400 मिलियन डॉलर का एक और लोन दिया गया है। लाइन ऑफ क्रेडिट मिलने के बाद यह 550 मिलियन डॉलर यानी करीब 4770 करोड़ रुपये हो गया।
चाबहार-जाहेदान रेलवे प्रोजेक्ट पहले इरकॉन इंटरनेशनल को दिया गया था। इसके लिए 1.6 बिलियन डॉलर का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया गया था। हालांकि, फंड मिलने में देरी की वजह से ईरान ने 2020 में इससे हाथ खींच लिए।
--Advertisement--