Up Kiran, Digital Desk: देश में जनसांख्यिकी संरचना में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है। भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि 2011-2026 के बीच देश में बच्चों और किशोरों (0-19 साल) की आबादी में लगभग 9% की गिरावट आने का अनुमान है।
2026 में 32% तक घट जाएगी बच्चों की संख्या
वर्ष 2011 में 0-19 साल की आयु वर्ग की आबादी करीब 41% थी, जो 2026 में घटकर महज 32 फीसद तक सिमट जाएगी। इस बदलाव के कारण, देश की कुल जनसंख्या के प्रतिशत में बच्चों और किशोरों की हिस्सेदारी में भारी कमी आएगी। विशेषज्ञों के अनुसार, यह बदलाव देश के सामाजिक और आर्थिक ढांचे पर गहरा असर डाल सकता है।
आयु वर्ग के अनुसार अनुमानित गिरावट
इस रिपोर्ट में 0-19 साल की आबादी को चार प्रमुख आयु वर्गों में बांटा गया है:
0-4 साल के बच्चे: 2011 में इनकी संख्या 9.9% थी, जो 2026 में घटकर 7.6% रह जाएगी।
5-9 साल के बच्चे: इस आयु वर्ग की आबादी 10.4% से घटकर 7.9% रह जाएगी।
10-14 साल के किशोर: इनकी संख्या 10.6% से घटकर 8.2% रह जाएगी।
15-19 साल के किशोर: इनकी आबादी 10.1% से घटकर 8.2% तक सिमट जाएगी।
यह गिरावट खासतौर पर परिवार नियोजन में सुधार के कारण हुई है। पिछले कुछ वर्षों में प्रजनन दर में कमी आई है, जिसका असर जनसांख्यिकी संरचना पर अब दिखने लगा है।
परिवार नियोजन के प्रभाव
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत में परिवार नियोजन की सुविधाओं में सुधार के कारण प्रजनन दर निरंतर घट रही है। इससे बच्चों और किशोरों की संख्या में कमी आ रही है, जो आगामी दशकों में और भी बढ़ सकती है। परिवार नियोजन को लेकर सरकारी योजनाओं का प्रभाव अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।
क्या होगा देश पर इस बदलाव का असर?
इस बदलाव के कई प्रभाव हो सकते हैं। पहले, बच्चों और किशोरों की संख्या में गिरावट से शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र पर असर पड़ेगा। साथ ही, श्रमिक वर्ग में युवाओं की कमी से भविष्य में कार्यबल पर भी दबाव पड़ सकता है। दूसरी ओर, इस गिरावट से बुजुर्गों की संख्या में वृद्धि हो सकती है, जिससे देश के सामाजिक कल्याण और वृद्धावस्था पेंशन योजनाओं पर असर पड़ने की संभावना है।

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