
Up Kiran, Digital Desk: भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए एक और बड़ा कदम उठाया गया है। अंतरिक्ष यात्री शुभ्रांशु शुक्ला ने 23 घंटे का एक अविस्मरणीय सफर पूरा किया, जो उन्हें अंतरिक्ष की कक्षा से सीधे बंगाल की खाड़ी के शांत पानी तक ले आया। यह कोई सामान्य उड़ान नहीं, बल्कि क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुनः प्रवेश प्रयोग (CARE) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिसने भविष्य के मानव अंतरिक्ष मिशन की राह को और आसान कर दिया है।
यह सफल 'जल-अवतरण' (Splashdown) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के गगनयान कार्यक्रम का एक अभिन्न अंग था। CARE मॉड्यूल को पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करने, सुरक्षित रूप से समुद्र में उतरने और फिर उसे ढूंढकर निकालने की प्रक्रिया का परीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। इस प्रयोग का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाना है।
अंतरिक्ष से 23 घंटे की यह यात्रा बेहद चुनौतीपूर्ण और तकनीक से भरी थी। मॉड्यूल ने सफलतापूर्वक पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश किया, अत्यधिक गर्मी का सामना किया, और फिर पैराशूट की मदद से बंगाल की खाड़ी में तय स्थान पर सटीक रूप से उतरा। यह लैंडिंग इतनी सटीक थी कि यह भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं का एक और प्रमाण बन गई।
मॉड्यूल के समुद्र में उतरने के तुरंत बाद, भारतीय नौसेना ने एक विशेष रिकवरी ऑपरेशन शुरू किया। एक प्रशिक्षित दल, जिसमें स्कूबा गोताखोर भी शामिल थे, तेजी से घटनास्थल पर पहुंचा।
उन्होंने सावधानीपूर्वक मॉड्यूल को ढूंढ निकाला और उसे विशेष जहाज पर वापस लाया। यह रिकवरी प्रक्रिया इस बात का प्रमाण है कि भारत के पास अपने अंतरिक्ष यात्रियों को सुरक्षित घर वापस लाने की पूरी क्षमता है।
यह सफल परीक्षण गगनयान मिशन के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है। इसने न केवल वायुमंडल में पुनः प्रवेश और जल-अवतरण की तकनीक को मान्य किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि भारत 2025 तक अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन को लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
शुभ्रांशु शुक्ला की यह प्रतीकात्मक वापसी, देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक नए युग की शुरुआत का संकेत है, जिससे भारत भी अब उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल होने जा रहा है जिनके पास अपनी मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता है।
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