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भारत सरकार ने एक चौंकाने वाले फैसले में बांग्लादेश को दी गई उस पारगमन सुविधा को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है, जिसके तहत वह भारत के भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों (LCS) के जरिए अपने माल को तीसरे देशों तक निर्यात कर सकता था। ये सुविधा जून 2020 में शुरू की गई थी, लेकिन 8 अप्रैल 2025 को जारी सरकारी परिपत्र ने इसे रद्द कर दिया। ये कदम भारतीय निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है, लेकिन इसके क्षेत्रीय व्यापार और भारत-बांग्लादेश संबंधों पर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

इस वजह से लिया गया ये फैसला

भारतीय निर्यातकों खासकर परिधान क्षेत्र से जुड़े उद्यमियों ने लंबे समय से इस सुविधा का कड़ा विरोध किया था। उनका तर्क था कि बांग्लादेशी कार्गो की वजह से भारतीय एयर कार्गो टर्मिनलों पर भीड़भाड़ बढ़ रही है, लॉजिस्टिक्स में देरी हो रही है और लागत में इजाफा हो रहा है। एक प्रमुख निर्यातक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमारी प्रतिस्पर्धात्मकता पर असर पड़ रहा था। बांग्लादेश को दी गई सुविधा हमारे लिए बोझ बन गई थी। सरकार के इस फैसले से भारतीय निर्यातकों को अब अधिक हवाई क्षमता और बेहतर बाजार पहुंच की उम्मीद है।

बांग्लादेश को करारा झटका

इस निर्णय का सबसे बड़ा झटका बांग्लादेश को झेलना पड़ सकता है। भारत के बुनियादी ढांचे पर निर्भर बांग्लादेशी निर्यात अब लॉजिस्टिक्स की चुनौतियों, बढ़ती लागत और अनिश्चितता से जूझ सकता है। ढाका के एक व्यापार विश्लेषक ने चेतावनी दी कि ये हमारे लिए बड़ा झटका है। भारत के रास्ते तीसरे देशों तक माल पहुंचाना अब मुश्किल हो जाएगा। और तो और नेपाल और भूटान जैसे देशों पर भी असर पड़ सकता है, जिनका व्यापार बांग्लादेश के जरिए प्रभावित हो सकता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि बांग्लादेश के साथ व्यापारिक रिश्तों में यह नया मोड़ द्विपक्षीय संबंधों को तनावपूर्ण बना सकता है।