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Up Kiran, Digital Desk: संयुक्त राष्ट्र (UN) की एक उच्च-स्तरीय बैठक में भारत ने एक बेहद महत्वपूर्ण संदेश दिया है। देश ने जोर देकर कहा है कि संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों (UN Peacekeepers) के खिलाफ होने वाले अपराधों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करना एक 'रणनीतिक आवश्यकता' है। भारत का यह रुख शांति अभियानों में उनकी सुरक्षा और प्रभावशीलता के प्रति उसकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

भारत, जो कि संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में से एक रहा है, ने स्पष्ट किया कि जब तक इन अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में नहीं लाया जाएगा, तब तक 'ब्लू हेलमेट' (शांति सैनिकों को दिया जाने वाला उपनाम) निडर होकर अपना काम नहीं कर पाएंगे। 

भारत के हजारों बहादुर सैनिक दुनिया के विभिन्न हिस्सों में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए अपनी जान जोखिम में डालते रहे हैं, और उनके खिलाफ होने वाली किसी भी हिंसा को गंभीर अपराध के रूप में देखा जाना चाहिए।

भारत ने अपने बयान में जोर दिया कि शांति सैनिकों के खिलाफ अपराधों के लिए जवाबदेही केवल नैतिक दायित्व ही नहीं, बल्कि शांति अभियानों की समग्र सफलता और अंतर्राष्ट्रीय शांति व सुरक्षा बनाए रखने के लिए भी आवश्यक है। यदि अपराधियों को दंडित नहीं किया जाता है, तो यह भविष्य में ऐसे हमलों को और बढ़ावा दे सकता है, जिससे शांति सैनिकों का मनोबल गिरेगा और उनकी सुरक्षा पर गंभीर खतरा पैदा होगा।

भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया है कि वह ऐसे अपराधों की प्रभावी जांच करे और अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए मिलकर काम करे। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जो लोग शांति बनाए रखने के लिए अपनी जान दांव पर लगाते हैं, वे सुरक्षित रहें और उनके खिलाफ होने वाले किसी भी अपराध के लिए न्याय मिले। यह बयान ऐसे समय में आया है जब दुनिया भर में शांति अभियानों में शांति सैनिकों पर हमले बढ़े हैं।

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