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Up Kiran, Digital Desk: परमाणु ऊर्जा और हथियारों के क्षेत्र में वैश्विक बढ़त की होड़ में चीन ने एक अहम उपलब्धि हासिल की है। हाल ही में चीन के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग (CGS) ने यूरेनियम का एक विशाल और तकनीकी रूप से महत्वपूर्ण भंडार खोजने की घोषणा की है। यह खोज चीन के ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को नई दिशा देने वाली मानी जा रही है।
ऑर्डोस और तारिम बेसिन में मिला यूरेनियम का विशाल भंडार
चीन के सरकारी मीडिया और भूवैज्ञानिक अधिकारियों के अनुसार, यह नया यूरेनियम भंडार ऑर्डोस बेसिन के जिंगचुआन क्षेत्र और झिंजियांग के तारिम बेसिन में पाया गया है। ये दोनों इलाके भू-गर्भीय दृष्टि से संसाधनों से भरपूर माने जाते हैं, जहां पहले से ही प्राकृतिक गैस, कोयला, पेट्रोलियम और कोलबेड मीथेन के स्रोत मौजूद हैं।
6000 फीट गहराई में छिपा ‘खास’ यूरेनियम
CGS के अनुसार, यह यूरेनियम भंडार धरती की सतह से लगभग 6000 फीट (लगभग 1.8 किलोमीटर) नीचे, विशेष प्रकार के बलुआ पत्थर (एओलियन सैंडस्टोन) में स्थित है। इसकी खासियत यह है कि यह दुनिया के ज्ञात यूरेनियम भंडारों से अलग संरचना में पाया गया है, जिससे यह एक नई श्रेणी के यूरेनियम अयस्क का उदाहरण बन गया है।
यूरेनियम निकालने की अनोखी तकनीक: इन सीटू लीचिंग
इस विशेष भंडार से यूरेनियम को निकालने के लिए ‘इन सीटू लीचिंग’ नामक उन्नत तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। इस प्रक्रिया में CO₂ और ऑक्सीजन के मिश्रण को भूमिगत चट्टानों में प्रवाहित किया जाता है, जिससे रासायनिक प्रतिक्रिया के माध्यम से यूरेनियम घुलकर सतह तक लाया जाता है। इसके बाद मशीनों की सहायता से इसे एकत्र किया जाता है।
सस्ते में निकलेगा यूरेनियम, होगा कम प्रदूषण
इस खोज का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह यूरेनियम खनन लागत के लिहाज से सस्ता होगा और इसकी निकासी प्रक्रिया अपेक्षाकृत कम पर्यावरणीय नुकसान पहुंचाती है। पारंपरिक खनन विधियों की तुलना में यह तकनीक अधिक कुशल और सुरक्षित मानी जा रही है।
परमाणु हथियारों और ऊर्जा संयंत्रों के लिए रणनीतिक संसाधन
चीन पहले से ही परमाणु ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से विस्तार कर रहा है। देश में 55 परमाणु रिएक्टर सक्रिय हैं और 20 नए संयंत्रों का निर्माण जारी है। इसके अतिरिक्त, चीन के पास लगभग 500 परमाणु हथियार हैं और उसकी योजना है कि इस संख्या को आने वाले वर्षों में दोगुना किया जाए। ऐसे में यह नया यूरेनियम भंडार रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत अहम माना जा रहा है।
एओलियन बलुआ पत्थरों में छिपे हैं ऊर्जा संसाधन
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार का बलुआ पत्थर — जिसे एओलियन सैंडस्टोन कहा जाता है — चीन के बड़े भूभाग में फैला है। अकेले ऑर्डोस बेसिन में यह 2 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में मौजूद है। इसके अलावा, उत्तर-पश्चिम चीन के जुंगर और तारिम बेसिन, तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के सोंगलियाओ बेसिन में भी इस प्रकार की संरचना पाई जाती है। इसका अर्थ है कि भविष्य में और अधिक यूरेनियम भंडार मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
चीन की ऊर्जा नीति को मिलेगा नया आधार
यह खोज चीन की ऊर्जा सुरक्षा नीति को मजबूती देने के साथ-साथ उसे यूरेनियम के आयात पर निर्भरता से भी राहत दे सकती है। वर्तमान में चीन को बड़ी मात्रा में यूरेनियम विदेशों से मंगवाना पड़ता है, लेकिन इस घरेलू भंडार के सक्रिय होने से वह अपने परमाणु कार्यक्रम को स्वदेशी संसाधनों से आगे बढ़ा सकेगा।
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