Up Kiran, Digital Desk: दुनिया की सियासत और व्यापार की दुनिया अब आपस में उलझ गई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को आईआईएम कलकत्ता से सम्मानित डॉक्टरेट मिलने के बाद साफ कहा कि आजकल राजनीति अर्थव्यवस्था को किनारे धकेल रही है। ये कोई मजाक नहीं। अनिश्चित समय में देश की जरूरतें पूरी करने के लिए सप्लाई स्रोतों को लगातार बदलना बहुत जरूरी हो गया है। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत जैसे बड़े देश को मजबूत औद्योगिक आधार बनाना ही पड़ेगा।
अब बात अमेरिका की। वो लंबे समय से वैश्विक व्यवस्था का रखवाला था लेकिन अब एक-एक देश से अलग-अलग सौदे कर रहा है। हाल ही में भारत से आने वाले सामान पर 50 प्रतिशत तक टैक्स लगा दिया। इससे भारत का निर्यात मई से अक्टूबर तक 28.5 प्रतिशत गिर गया। जयशंकर ने इसे निशाना बनाते हुए कहा कि अमेरिका जुड़ाव के नए नियम गढ़ रहा है। भारत अब दो रास्तों पर बात कर रहा है। एक तरफ टैरिफ का मुद्दा सुलझाना। दूसरी तरफ बड़ा व्यापार समझौता। लक्ष्य साफ है – 191 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक दोगुना करके 500 अरब करना। अमेरिका कृषि और हाई-टेक बाजारों में घुसना चाहता है। भारत को चाहिए पेशेवरों की आसान आवाजाही डिजिटल व्यापार के साफ नियम और डेटा बहाव की गारंटी।
चीन की तो अलग ही कहानी है। वो हमेशा से अपने नियमों से खेलता आया है और आज भी वही कर रहा। दुनिया का एक तिहाई उत्पादन वहीं केंद्रित है। इससे सप्लाई चेन कमजोर हो गई। जयशंकर ने बताया कि वैश्विक टूटन के कारण कई देश हेजिंग कर रहे हैं। मतलब संकट से बचने के लिए हर तरफ दांव लगाना। स्पष्ट मुकाबले से ज्यादा सौदों और समझौतों पर जोर। भारत भी यही कर रहा। आत्मनिर्भरता बढ़ा रहा। मेक इन इंडिया से नई सोच ला रहा।
तेजी से आगे बढ़ रहा भारत
भारत तेजी से आगे बढ़ रहा। इंफ्रास्ट्रक्चर में राजमार्ग रेलवे हवाई अड्डे बंदरगाह ऊर्जा सबमें प्रगति। एशिया की सफल अर्थव्यवस्थाओं से फासला कम हो रहा। उन्नत निर्माण को बढ़ावा देना पड़ेगा। सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रिक गाड़ियां ड्रोन बायोसाइंस सब क्षेत्रों में कूदना है। जयशंकर ने कहा कि ये मौके हैं आगे निकलने के। कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी नई तकनीकों से कमजोरियां दूर करनी हैं।
2047 तक विकसित भारत का सपना देखते हुए विदेश नीति अब निष्क्रिय नहीं रही। ये सक्रिय हो गई। भारत का वैश्विक असर बढ़ाना ही लक्ष्य। जयशंकर एस जयशंकर आईआईएम कलकत्ता सम्मान, राजनीति अर्थव्यवस्था हावी, सप्लाई स्रोत विविधीकरण, भारत अमेरिका टैरिफ विवाद, चीन वैश्विक टूटन, मेक इन इंडिया आत्मनिर्भरता, विदेश नीति 2047 विकसित भारत – ये सब बताते हैं कि भारत अब चुपचाप नहीं बैठेगा। दुनिया की उलझनों में अपना रास्ता खुद बनाएगा।




