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Up Kiran, Digital Desk: भारत अब रक्षा क्षेत्र में सिर्फ आयात पर निर्भर नहीं रहना चाहता। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू स्तर पर एडवांस तकनीकों का विकास तेजी से हो रहा है। इसी दिशा में बेंगलुरु की एक निजी कंपनी प्राइम टूलिंग्स ने बड़ी सफलता हासिल की है। कंपनी ने पूरी तरह देसी तकनीक से मिसाइल इंजन तैयार किया है, जो फरवरी 2026 में देश की भरोसेमंद बराक मिसाइल श्रृंखला में टेस्ट के लिए इस्तेमाल होगा।
दुनिया में कौन-कौन बना रहा है मिसाइल इंजन?
मिसाइल इंजन बनाना कोई बच्चों का खेल नहीं है। इसमें एडवांस डिजाइन, हाई-टेम्परेचर मटेरियल और सटीकता की जरूरत होती है। यही वजह है कि गिने-चुने देश ही इस तकनीक में माहिर हैं।
आज के समय में अमेरिका, रूस, चीन, भारत, फ्रांस, ब्रिटेन, इजराइल और ईरान इस क्षेत्र में एक्टिव रोल निभा रहे हैं।
अमेरिका की कंपनियां क्यों हैं लीडर?
Aviation और Pratt & Whitney जैसी अमेरिकी कंपनियां फाइटर जेट और मिसाइल दोनों के इंजन बनाती हैं। इनके बनाए इंजन F-22 Raptor और F-35 जैसे लड़ाकू विमानों में लगाए जाते हैं। अमेरिका ने हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक में भी काफी तरक्की कर ली है, जो पारंपरिक मिसाइलों से कई गुना तेज होती हैं।
रूस और भारत की जुगलबंदी से बनी ‘ब्रह्मोस’ दुनिया की फास्टेस्ट सुपरसोनिक मिसाइल
रूस, जो पहले से ही एयरोस्पेस तकनीक में सशक्त है, अपनी कंपनियों Saturn और Klimov के जरिए मिसाइल और विमान इंजन बनाता है। यही नहीं, रूस और भारत की पार्टनरशिप से बनी ब्रह्मोस मिसाइल को दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में गिना जाता है। यह आवाज की रफ्तार से लगभग तीन गुना तेज चलती है।