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Up Kiran, Digital Desk: भारत में हाल ही में हुई एक बड़ी खोज ने फिर से साबित कर दिया है कि हमारे देश की ज़मीन सिर्फ इतिहास और संस्कृति ही नहीं, बल्कि अपार प्राकृतिक संपदा से भी समृद्ध है। इस बार सोने की नई खदानों की जानकारी सामने आई है और इसका केंद्र बना है राजस्थान का बांसवाड़ा जिला। इस खोज के बाद सरकार की नजरें अब इन भंडारों को आर्थिक संपन्नता में बदलने पर टिकी हैं।
बांसवाड़ा में नई उम्मीद की किरण
राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के घाटोल क्षेत्र में करीब तीन किलोमीटर के दायरे में सोने की संभावित खदानों के संकेत मिले हैं। यह इलाका वैसे भी खनिज संपदा के लिए जाना जाता है, मगर इस नई खोज ने इलाके को राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला दिया है। सरकार अब यहां खनन कार्य शुरू करवाने के लिए आवश्यक प्रक्रिया और टेंडर जारी करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
पहले से मौजूद हैं कई खदानें
यह बात कम ही लोगों को पता है कि बांसवाड़ा जिले के जगपुरा और भकिया क्षेत्रों में पहले से ही कई सक्रिय खदानें मौजूद हैं, जहां खनन का काम वर्षों से चल रहा है। ऐसे में घाटोल में मिली नई संभावनाएं इस क्षेत्र को एक बार फिर निवेश और विकास का हॉटस्पॉट बना सकती हैं।
सोने की खदानें आखिर ढूंढते कैसे हैं
जब भी सोने की खोज की बात होती है, आम लोगों के मन में एक ही सवाल आता है जमीन के नीचे छिपे खजाने का पता आखिर लगाया कैसे जाता है? जवाब वैज्ञानिक और तकनीकी दोनों पहलुओं से जुड़ा है।
मिट्टी और पेड़ों से मिलते हैं संकेत
एक दिलचस्प तरीका है वनस्पतियों और मिट्टी का विश्लेषण। वैज्ञानिक यह समझते हैं कि खास तरह की मिट्टी और उसमें मौजूद खनिजों से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि नीचे कौन-कौन से खनिज तत्व मौजूद हैं। यदि मिट्टी में कुछ विशेष प्रकार के मिनरल्स पाए जाएं, तो यह संकेत होता है कि नीचे कहीं न कहीं सोना हो सकता है।
हाई-टेक टेक्नोलॉजी से होती है पुष्टि
सोने की खोज अब पूरी तरह से वैज्ञानिक प्रक्रिया बन चुकी है। दो प्रमुख तकनीकों का इसमें इस्तेमाल होता है। पहली है ‘ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार’ यानी जमीन के भीतर की परतों को स्कैन करने वाली तकनीक, और दूसरी है ‘वेरी लो फ्रीक्वेंसी’ सिस्टम, जो जमीन में छिपे धातुओं की मौजूदगी को पकड़ने में मदद करता है। इन दोनों विधियों से जमीन के भीतर की संरचना को समझा जा सकता है और संभावित खनन क्षेत्रों की पहचान की जाती है।
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