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Up Kiran, Digital Desk: आधुनिक तकनीक, जैसे स्मार्टफोन्स, इलेक्ट्रिक वाहन, रिन्यूएबल एनर्जी सिस्टम और रक्षा उपकरण – इन सभी में कुछ बेहद खास धातुओं का इस्तेमाल होता है, जिन्हें 'रेअर अर्थ एलिमेंट्स' (Rare Earth Elements - REEs) कहा जाता है। ये धातुएँ बेहद महत्वपूर्ण हैं और इनकी वैश्विक आपूर्ति कुछ ही देशों के हाथ में केंद्रित है, जिससे भू-राजनीतिक चिंताएं बढ़ रही हैं। लेकिन अब भारत इस क्षेत्र में एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार दिख रहा है!

एक नई रिपोर्ट और विशेषज्ञों के आकलन के अनुसार, भारत के पास दुनिया के कुल रेअर अर्थ एलिमेंट्स के भंडार का लगभग 8% हिस्सा मौजूद है। यह एक महत्वपूर्ण आंकड़ा है, जो भारत को वैश्विक REE आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर सकता है।

क्यों महत्वपूर्ण हैं रेअर अर्थ एलिमेंट्स?

ये 17 रासायनिक तत्व अपनी अनूठी चुंबकीय, उत्प्रेरक और ऑप्टिकल गुणों के कारण आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स और उच्च-तकनीकी उद्योगों के लिए अपरिहार्य हैं। चीन वर्तमान में दुनिया के REE उत्पादन और प्रसंस्करण पर हावी है, जिससे कई देशों को आपूर्ति सुरक्षा को लेकर चिंताएं हैं।

भारत के लिए अवसर:

आत्मनिर्भरता: REE के घरेलू उत्पादन और प्रसंस्करण से भारत अपनी रणनीतिक उद्योगों के लिए आत्मनिर्भर बन सकता है, जिससे विदेशी निर्भरता कम होगी।

आर्थिक विकास: खनन, प्रसंस्करण और संबंधित उद्योगों में निवेश से रोज़गार के अवसर पैदा होंगे और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

भू-राजनीतिक प्रभाव: REE आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भागीदारी उसे वैश्विक मंच पर एक मज़बूत स्थिति प्रदान करेगी और अन्य देशों के साथ उसके रणनीतिक संबंधों को मज़बूत करेगी।

प्रौद्योगिकी विकास: घरेलू REE की उपलब्धता उन्नत विनिर्माण और अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करेगी।

 भारत के पास भंडार तो हैं, लेकिन चुनौती इनके खनन, शोधन और प्रसंस्करण की जटिल प्रक्रियाओं में है, जो पर्यावरण के लिहाज़ से भी संवेदनशील होती हैं। सरकार इस दिशा में कदम उठा रही है और निजी क्षेत्र को भी प्रोत्साहित कर रही है ताकि इन महत्वपूर्ण खनिजों का दोहन और उपयोग प्रभावी ढंग से किया जा सके।

यह भारत के लिए एक सुनहरा अवसर है कि वह न केवल अपनी तकनीकी ज़रूरतों को पूरा करे, बल्कि वैश्विक स्तर पर इन महत्वपूर्ण धातुओं की आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे। यह कदम भारत को 'आत्मनिर्भर भारत' और वैश्विक महाशक्ति बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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