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Up Kiran, Digital Desk: हाल ही में मौलाना साजिद रशीदी द्वारा डिंपल यादव के खिलाफ दिए गए विवादित बयान को लेकर भाजपा ने तीखा विरोध प्रदर्शन किया। इस मामले में भाजपा का गुस्सा तो खुलकर सामने आया ही, साथ ही इसने सपा और उसके मुस्लिम वोट बैंक को लेकर भी नई सियासी बहस छेड़ दी है। एनडीए सांसदों ने संसद परिसर में इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया और अखिलेश यादव पर भी अप्रत्यक्ष रूप से हमला किया।

भाजपा का प्रदर्शन और तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप

एनडीए सांसदों ने इस विरोध प्रदर्शन में अपने हाथों में तख्तियां उठाकर एक तंज कसा, जिन पर लिखा था- "नारी सम्मान पर भारी, तुष्टीकरण की राजनीति तुम्हारी।" भाजपा का आरोप था कि सपा के नेतृत्व में मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति हो रही है और यह स्थिति डिंपल यादव के मामले में भी सामने आई है। सपा के मुस्लिम वोट बैंक को लेकर भाजपा की कोशिश यह नजर आ रही है कि वह अखिलेश यादव को इस मामले पर खुलकर बोलने के लिए मजबूर करें। ऐसा न होने पर भाजपा उन पर तुष्टीकरण का आरोप भी लगा सकती है।

डिंपल यादव का जवाब

इस बीच, डिंपल यादव ने भाजपा के इस प्रदर्शन पर चुप्पी तोड़ी और अपने सधे हुए अंदाज में भाजपा को जवाब दिया। उन्होंने कहा कि यह सवाल अब उठना चाहिए, लेकिन भाजपा का विरोध केवल डिंपल यादव तक क्यों सीमित है, जबकि मणिपुर जैसे संवेदनशील मामले पर भी भाजपा का रुख सवालों के घेरे में है। उन्होंने कहा, "अगर भाजपा ने मणिपुर के मुद्दे पर भी इस तरह का विरोध प्रदर्शन किया होता, तो यह और ज्यादा अर्थपूर्ण होता।"

यह बयान डिंपल यादव ने राजनीतिक चतुराई से दिया, जिसमें उन्होंने भाजपा को उनके दोगले रवैये पर घेरा और यह सवाल खड़ा किया कि अगर सपा के नेताओं की निंदा हो सकती है, तो मणिपुर जैसे संवेदनशील मामलों पर भाजपा क्यों खामोश रहती है।

सपा की असहज स्थिति

सपा के लिए यह मामला खासा असहज हो गया है। एक ओर जहां पार्टी अपने मुस्लिम वोट बैंक को लेकर बेहद सतर्क है, वहीं दूसरी ओर डिंपल यादव पर मौलाना के इस तरह के बयान को लेकर पार्टी चुप्पी साधे हुए है। इस मुद्दे पर सपा का शीर्ष नेतृत्व भी खुलकर बयान देने से बच रहा है, और यह पार्टी के लिए एक मुश्किल स्थिति बन गई है। खासकर जब डिंपल यादव को सार्वजनिक तौर पर अपमानित किया गया हो, और पार्टी इसे नजरअंदाज भी नहीं कर सकती।

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