
Up Kiran, Digital Desk: जब डोनाल्ड ट्रंप संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति थे, तब उन्होंने व्यापार नीतियों को लेकर कई बड़े और चौंकाने वाले बयान दिए थे। ऐसा ही एक बड़ा बयान उन्होंने तब दिया था जब उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने यूरोपीय संघ (EU) के साथ अब तक का "सबसे बड़ा व्यापारिक समझौता" (biggest ever trade deal) कर लिया है।
सिर्फ इतना ही नहीं, ट्रंप ने उस समय यह भी ऐलान किया था कि सभी सामानों पर 15 प्रतिशत का टैरिफ (आयात शुल्क) लगाया जाएगा। आसान भाषा में कहें तो, इसका मतलब यह था कि यूरोपीय संघ से अमेरिका आने वाले लगभग हर सामान पर, उसकी कीमत का 15 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क के तौर पर वसूला जाएगा।
यह घोषणा अपने आप में काफी बड़ी और असाधारण थी, क्योंकि व्यापार समझौतों में आमतौर पर टैरिफ कम किए जाते हैं, न कि बढ़ाए जाते हैं, खासकर "सबसे बड़े समझौते" में। ट्रंप अपने 'अमेरिका फर्स्ट' (America First) की नीति के तहत अमेरिकी उद्योगों और नौकरियों को बचाने के लिए आयात शुल्क बढ़ाने के पक्षधर थे।
यह बयान वैश्विक व्यापारिक जगत के लिए एक बड़ी खबर थी और इसने कई सवाल खड़े कर दिए थे कि इस तरह का एकतरफा टैरिफ लगाने का असर क्या होगा। ट्रंप का मानना था कि ऐसे कड़े कदम अमेरिका के पक्ष में व्यापार संतुलन को सुधारेंगे और देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देंगे।
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