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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय क्रिकेट टीम, जिसका नेतृत्व सूर्यकुमार यादव के हाथों में है, एशिया कप 2023 में एक मजबूत दावेदार के तौर पर मैदान में उतरेगी। टूर्नामेंट की शुरुआत अफगानिस्तान और हांगकांग के बीच अबू धाबी में मुकाबले से होगी, लेकिन असल ध्यान सभी का होगा दुबई में, जहां भारतीय टीम बुधवार को यूएई के खिलाफ अपना पहला मुकाबला खेलेगी। भारतीय टीम इस मैच में बड़ी जीत के इरादे से मैदान पर उतरेगी।

एशिया कप का हमेशा ही टी-20 वर्ल्ड कप से पहले एक प्रैक्टिस सत्र जैसा महत्त्व रहा है, लेकिन इस बार यह स्थिति बदल चुकी है। फिर भी, भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में अपनी प्रभुता साबित करने के लिए किसी भी कमी को पूरा करने में पीछे नहीं हटेगी।

भारत का दबदबा और चुनौती

भारत का एशिया कप में रिकॉर्ड शानदार रहा है, और इस बार टीम के पास पूरी ताकत और संतुलन है, जो उसे प्रतियोगिता में खिताब का मुख्य दावेदार बनाता है। भारतीय टीम के आत्मविश्वास का स्तर इतना ऊँचा है कि चयन समिति के अध्यक्ष अजीत अगरकर और मुख्य कोच गौतम गंभीर ने बिना किसी संकोच के 15 खिलाड़ियों की टीम चुनी। यह निर्णय एशियाई क्रिकेट परिषद द्वारा स्वीकृत 17 सदस्यीय टीम से कम है, लेकिन इसका मतलब यह है कि भारत विश्व कप के लिए अपनी सर्वोत्तम टीम का चयन कर रहा है।

भारतीय टीम के लिए एशिया कप का फाइनल, विश्व कप से पहले एक अहम प्लेटफॉर्म साबित होगा। सूर्यकुमार यादव की अगुवाई में भारत लगभग 20 मैच खेलेगा, जिसमें एशिया कप का फाइनल भी शामिल है। इन मुकाबलों के माध्यम से टीम अपने विश्व कप संयोजन को और मजबूत करेगी।

सूर्यकुमार यादव का नेतृत्व और गिल की भूमिका

सूर्यकुमार यादव ने अब तक कप्तान के तौर पर बेहतरीन प्रदर्शन किया है, और उनका जीत का प्रतिशत 80% के करीब है। अब, उनकी कप्तानी में शुभमन गिल को उप-कप्तान के रूप में शामिल किया गया है, जिससे यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों मिलकर टीम के लिए किस तरह का सामंजस्य बनाएंगे। इस बदलाव के साथ, भारतीय क्रिकेट टीम एक नए आत्मविश्वास के साथ मुकाबले में उतरेगी।

भारत का मजबूत बल्लेबाजी आक्रमण

भारतीय बल्लेबाजों ने हाल के वर्षों में टी-20 क्रिकेट में एक नया स्वरूप अपनाया है, और आईपीएल का अनुभव उनकी बल्लेबाजी को और ताकतवर बनाता है। अब, पाकिस्तान और श्रीलंका जैसी टीमों के लिए भारत की बल्लेबाजी का मुकाबला करना पहले की तुलना में और भी कठिन हो गया है। एशिया कप में भारत को रोकने की चुनौती अन्य टीमों के लिए काफी बड़ी होगी, और सवाल यह नहीं है कि भारत इसे जीतेगा या नहीं, बल्कि यह है कि कौन उसे रोक पाएगा।

पाकिस्तान और श्रीलंका की चुनौती

पाकिस्तान और श्रीलंका दोनों टीमों के लिए भारत को चुनौती देना आसान नहीं होगा। पाकिस्तान ने अपने अनुभवी बल्लेबाजों बाबर आजम और मोहम्मद रिजवान को टीम से बाहर कर दिया है, और अब उसकी सफलता इस पर निर्भर करेगी कि शाहीन शाह अफरीदी, हारिस रऊफ़ और हसन अली भारतीय बल्लेबाजों के सामने किस तरह की गेंदबाजी करते हैं।

श्रीलंका, जो चरिथ असलांका की कप्तानी में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है, के लिए भी यह प्रतियोगिता चुनौतीपूर्ण होगी। क्या वे टूर्नामेंट में निरंतरता बनाए रख पाएंगे और छह से सात मैच जीत पाएंगे? यह देखना दिलचस्प होगा।

अन्य टीमों की स्थिति

भारत के अलावा हांगकांग और बांगलादेश जैसी टीमों के लिए इस टूर्नामेंट में सफलता की उम्मीद कम है। ग्रुप बी में, बांगलादेश के लिए शुरूआत में ही बाहर होना एक बड़ा जोखिम हो सकता है। वहीं, हांगकांग के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण टूर्नामेंट होगा, जिसमें वह अपनी प्रगति को आंका जाएगा।

अफगानिस्तान: एक अप्रत्याशित खतरा

हालांकि भारतीय टीम को सबसे बड़ी चुनौती पाकिस्तान और श्रीलंका से होगी, लेकिन अफगानिस्तान का स्पिन आक्रमण और मजबूत बल्लेबाजी उसे एक अप्रत्याशित खतरा बना सकती है। अफगानिस्तान ने इस टूर्नामेंट में अपनी स्थिति को मजबूत किया है और भारत के खिलाफ चुनौती देने के लिए तैयार है।

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