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Up Kiran Digital Desk: केंद्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय लिया है। विपक्षी दलों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। इसी तरह अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार (6 मई, 2025) को जाति जनगणना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इस पत्र के माध्यम से उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को कुछ सुझाव भी दिए हैं।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस पत्र को अपने एक्स अकाउंट पर शेयर करते हुए लिखा, "जाति जनगणना के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मेरा पत्र। मैंने आपको 16 अप्रैल, 2023 को लिखा था, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जाति जनगणना की मांग की थी। दुर्भाग्य से मुझे इस पत्र का कोई जवाब नहीं मिला। दुर्भाग्य से आपकी पार्टी के नेताओं और आपने इस वैध मांग को करने के लिए कांग्रेस और उसके नेतृत्व पर हमला किया। अब आपने घोषणा की है कि अगली जनगणना (जो 2021 में होनी थी) में जाति को एक अलग श्रेणी के रूप में शामिल किया जाएगा, लेकिन इसके बारे में जानकारी नहीं दी। मेरे पास आपके विचार के लिए तीन सुझाव हैं।"
जानें कौन से हैं वो तीन सुझाव
उन्होंने कहा, "जनगणना प्रश्नावली का डिजाइन महत्वपूर्ण है। प्रश्नावली को अंतिम रूप देने और पूछे जाने वाले प्रश्नों के सेट की प्रक्रिया के लिए गृह मंत्रालय को तेलंगाना मॉडल से प्रेरणा लेनी चाहिए। जाति जनगणना के परिणाम जो भी हों, यह स्पष्ट है कि एससी, एसटी और ओबीसी के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मनमानी सीमा को संविधान संशोधन के माध्यम से हटाया जाना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 15(5) को 20 जनवरी, 2006 से लागू किया गया था। इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और 26 जनवरी, 2014 को लंबी सुनवाई के बाद इसे बरकरार रखा गया। निजी शिक्षण संस्थानों में भी एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रावधान है। इसे लागू किया जाना चाहिए।"
मल्लिकार्जुन खड़गे ने पत्र में आगे कहा, "जाति जनगणना जैसी कोई भी प्रक्रिया, जो हमारे समाज के पिछड़े, उत्पीड़ित और हाशिए पर पड़े वर्गों को सशक्त बनाती है, उसे किसी भी तरह से विभाजनकारी नहीं माना जा सकता और न ही माना जाना चाहिए। हमारा महान राष्ट्र और हमारे बड़े दिल वाले लोग हमेशा जरूरत पड़ने पर एक साथ आए हैं, जैसा कि हमने हाल ही में पहलगाम में हुए कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले के बाद किया।"
उन्होंने अपने पत्र में कहा, "भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का मानना है कि हमारे संविधान की प्रस्तावना में निहित सामाजिक और आर्थिक न्याय तथा स्थिति और अवसर की समानता सुनिश्चित करने के लिए उपरोक्त व्यापक तरीके से जाति जनगणना कराना अत्यंत महत्वपूर्ण है। मुझे विश्वास है कि आप मेरे सुझावों पर गंभीरता से विचार करेंगे। मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप जल्द से जल्द सभी राजनीतिक दलों के साथ जाति जनगणना के मुद्दे पर चर्चा करें।"
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