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Moorish Masjid: जब भारत की ऐतिहासिक मस्जिदों का जिक्र आता है, तो दिल्ली की जामा मस्जिद और यूपी के देवबंद का अक्सर नाम लिया जाता है। मगर पंजाब में एक मस्जिद है, जिसकी वास्तुकला और खूबसूरती आपको ऐसा अहसास कराएगी जैसे आप किसी अन्य देश में हैं। चलिए, इस खूबसूरत मस्जिद से मिलते हैं और समझते हैं कि ये वीरान क्यों है।

पंजाब का कपूरथला, जो रेल कोच फैक्ट्री के लिए प्रसिद्ध है, मगर यहां एक अनोखी मस्जिद स्थित है जिसे 'मूरिश मस्जिद' के नाम से जाना जाता है। इसकी वास्तुकला मोरक्को के ग्रैंड मस्जिद ऑफ मार्राकेश से मिलती-जुलती है, जिससे यह इमारत एक अलग ही आकर्षण का केंद्र बन जाती है।

मूरिश मस्जिद का निर्माण कपूरथला के अंतिम शासक महाराजा जगतजीत सिंह ने करवाया था, जो एक धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण के समर्थक थे। उस समय उनकी आधे से भी ज्यादा प्रजा मुस्लिम थी।

इस मस्जिद का निर्माण कार्य फ्रेंच आर्किटेक्ट मीस्यू एम. मंटेक्स द्वारा डिजाइन किया गया था, और इसका निर्माण 1926 में शुरू हुआ और 1930 में पूरा हुआ। इस परियोजना पर 4 लाख रुपये खर्च हुए थे। मस्जिद का उद्घाटन नवाब सादिक मोहम्मद खान-5 ने किया था, जो भावलपुर के नवाब थे।

आज इस मस्जिद का दृश्य वीरान लगता है, क्योंकि 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद अधिकांश मुसलमानों ने सरहद पार कर ली थी। 2011 की जनगणना के अनुसार, कपूरथला में मुस्लिम आबादी केवल 1.26 प्रतिशत रह गई है। यह मस्जिद हिंदुस्तान के बंटवारे के दर्द को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।

अब्दुल कलाम पढ़े चुके हैं नमाज

मस्जिद के इमाम शाही इमाम हाफिज शौकत अली हैं, जो इस ऐतिहासिक स्थल की देखभाल कर रहे हैं। वे 1994 से इमामत कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि 23 मार्च 2003 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने इस मस्जिद का दौरा किया था और यहां जोहर की नमाज अदा की थी।

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