Up Kiran, Digital Desk: भारत और इंडोनेशिया के बीच एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदा होने जा रहा है, जिसमें इंडोनेशिया को भारत द्वारा ब्रह्मोस मिसाइलें बेची जाएंगी। इस सौदे का मुख्य उद्देश्य इंडोनेशिया की सैन्य क्षमता को मजबूती प्रदान करना और दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते प्रभाव से मुकाबला करना है। यह सौदा लगभग 45 करोड़ डॉलर में होगा और इससे भारत की रक्षा निर्यात क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिलेगी।
चीन के प्रभाव के खिलाफ सुरक्षा बढ़ाना
इंडोनेशिया ने ब्रह्मोस मिसाइलों को अपने रक्षा बलों में शामिल करने का निर्णय लिया है, खासकर दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते दबदबे के मद्देनजर। ब्रह्मोस मिसाइल, जो सुपरसोनिक गति से उड़ने में सक्षम है, शोर-बेस्ड और शिप-माउंटेड वर्जन के रूप में चीन के जहाजों को 290 किमी दूर से सटीक निशाना बना सकती है। इस मिसाइल की विशेषता यह है कि यह बिना अतिरिक्त मार्गदर्शन के टारगेट को हिट करती है, जो इसे और भी प्रभावी बनाती है।
भारत की 'मेक इन इंडिया' पहल को नई दिशा
यह सौदा न सिर्फ भारत और इंडोनेशिया के सैन्य संबंधों को और मजबूत करेगा, बल्कि भारत की 'मेक इन इंडिया' पहल को भी वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाएगा। ब्रह्मोस मिसाइल, जो भारत और रूस के संयुक्त प्रयास का परिणाम है, अब एक महत्वपूर्ण रक्षा उपकरण के रूप में कई देशों की सैन्य योजनाओं का हिस्सा बन चुकी है। इससे भारत का रक्षा क्षेत्र वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रतिस्पर्धी होगा।
ब्रह्मोस मिसाइल का प्रभावी इस्तेमाल
भारत द्वारा बेची जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल का उपयोग पहले भी कई युद्धक स्थितियों में किया जा चुका है। मई 2025 में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के एयरबेस पर हमला कर मिसाइलों का सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया था। इस हमले ने पाकिस्तान की हवाई क्षमता को कमजोर कर दिया और उनकी रडार प्रणालियों को भी चकमा दिया। यह मिसाइल युद्ध के दौरान एक महत्वपूर्ण रणनीतिक उपकरण के रूप में साबित हुई थी।




