Up Kiran, Digital Desk: अमेरिका में रहकर काम करने वाले लाखों भारतीयों के लिए एक चिंताजनक खबर सामने आई है। बाइडेन प्रशासन ने एक बड़ा फैसला लेते हुए प्रवासियों के वर्क परमिट (Work Permit) के ऑटोमेटिक एक्सटेंशन की सुविधा को खत्म कर दिया है। यह बदलाव उन हजारों भारतीय पेशेवरों, विशेषकर H-1B वीजाधारकों के जीवनसाथियों (H-4 वीजा पर) को सीधे तौर पर प्रभावित करेगा, जो अपने वर्क परमिट के नवीनीकरण (renewal) का इंतजार करते हुए भी नौकरी कर पाते थे।
क्या था पुराना नियम और अब क्या बदल गया है?
पहले नियम यह था कि अगर किसी प्रवासी कर्मचारी का वर्क परमिट (जिसे EAD - Employment Authorization Document भी कहते हैं) एक्सपायर होने वाला है और उसने समय पर नवीनीकरण के लिए आवेदन कर दिया है, तो उसे 540 दिनों (लगभग 18 महीने) का ऑटोमेटिक एक्सटेंशन मिल जाता था। इसका मतलब था कि जब तक उसका नया परमिट बनकर नहीं आता, तब तक वह अपनी नौकरी जारी रख सकता था। यह सुविधा कोविड-19 महामारी के दौरान धीमी प्रोसेसिंग से निपटने के लिए शुरू की गई थी।
लेकिन अब, इस 540 दिन के ऑटोमेटिक एक्सटेंशन को खत्म कर दिया गया है। इसकी जगह अब केवल 180 दिनों का पुराना नियम ही लागू होगा।
भारतीयों पर कैसे पड़ेगा इसका सीधा असर?
यह फैसला भारतीय कार्यबल के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि अमेरिका में काम करने वाले प्रवासियों में भारतीयों की संख्या बहुत बड़ी है।
नौकरी जाने का खतरा: अमेरिका में वर्क परमिट की प्रोसेसिंग में अक्सर 6 महीने से ज्यादा का समय लग जाता है। अब एक्सटेंशन सिर्फ 180 दिन (6 महीने) का होने से, अगर किसी का नया परमिट इस अवधि में बनकर नहीं आया, तो उसका काम करने का अधिकार खत्म हो जाएगा और उसे अपनी नौकरी छोड़नी पड़ेगी।
H4-EAD धारकों की बढ़ी चिंता: इस नियम का सबसे बुरा असर H-1B वीजा धारकों के जीवनसाथियों (अक्सर महिलाएं) पर पड़ेगा जो H4-EAD पर काम करती हैं। उन्हें अब अपने करियर में अनिश्चितता का सामना करना पड़ेगा। परमिट में देरी का मतलब होगा नौकरी से जबरन छुट्टी और आर्थिक नुकसान।
वित्तीय और मानसिक तनाव: नौकरी खोने का डर, दोबारा नौकरी ढूंढने की चुनौती और कानूनी रूप से काम न कर पाने की स्थिति परिवारों पर भारी वित्तीय और मानसिक तनाव पैदा करेगी। कई लोगों को डर है कि उन्हें बिना सैलरी के घर बैठना पड़ सकता है, जिससे उनकी सारी प्लानिंग गड़बड़ा जाएगी।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब कई भारतीय पेशेवर ग्रीन कार्ड की लंबी कतार में फंसे हैं और अपने करियर को लेकर पहले से ही अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं। इस नए नियम ने उनकी मुश्किलों को और बढ़ा दिया है। अब सभी की निगाहें अमेरिकी नागरिकता और आप्रवासन सेवा (USCIS) पर टिकी हैं कि क्या वे प्रोसेसिंग के समय को तेज कर पाएंगे, ताकि लोगों को नौकरी खोने से बचाया जा सके।

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