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Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न केवल पुलिस विभाग को हैरान किया, बल्कि पूरी दिल्ली को भी चौंका दिया। करोल बाग के ताजे सीसीटीवी फुटेज ने पुलिस को एक महत्वपूर्ण सुराग दिया, जिससे पता चला कि वह व्यक्ति, जिस पर दिल्ली विश्वविद्यालय की एक छात्रा पर एसिड हमला करने का आरोप था, उस समय घटना स्थल से हजारों किलोमीटर दूर था।

मामला तब तूल पकड़ा जब 26 अक्टूबर 2025 को दिल्ली विश्वविद्यालय की बीकॉम छात्रा ने आरोप लगाया कि उसे अशोक विहार स्थित लक्ष्मीबाई कॉलेज के पास एसिड फेंका गया था। उसने बताया कि उस पर मोटरसाइकिल से तेज़ाब फेंका गया था और इसे लेकर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। इस हमले ने दिल्ली में खलबली मचा दी थी।

जाँच ने खोला झूठ का चेहरा: पिता और बेटी की मिलीभगत

पुलिस की सख्त जाँच में यह तथ्य सामने आया कि घटना में कई झोल थे। जैसे-जैसे जाँच आगे बढ़ी, छात्रा के बयान और साक्ष्यों में विसंगतियां दिखाई दीं। करोल बाग के सीसीटीवी फुटेज ने पुलिस को यह स्पष्ट रूप से दिखाया कि उस समय आरोपी जितेंद्र कहीं और था और न ही उसने किसी मोटरसाइकिल से एसिड फेंका था। इसके अलावा, इशान और अरमान नामक दो अन्य आरोपित, जो कथित रूप से हमले में शामिल थे, भी आगरा में अपने परिवार के साथ पाए गए, जिससे उनकी संलिप्तता पूरी तरह से गलत साबित हो गई।

फोरेंसिक रिपोर्ट और सच्चाई

पुलिस और फोरेंसिक टीमों ने घटनास्थल का गहन निरीक्षण किया। फोरेंसिक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि घटनास्थल पर एसिड का कोई निशान नहीं था। आरएमएल अस्पताल के डॉक्टरों ने यह भी पुष्टि की कि पीड़िता को जो जलन हुई, वह एसिड से नहीं, बल्कि किसी हल्के घरेलू रसायन से हुई थी। इसके बाद पुलिस को महिला के घर से टॉयलेट क्लीनर की बोतल भी बरामद हुई, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह पूरा मामला साजिश के तहत रचा गया था।

पिता ने खुद कबूल की साज़िश

जाँच के दौरान, पीड़िता के पिता अकील खान ने यह स्वीकार किया कि उसने अपनी बेटी के साथ मिलकर झूठा एसिड हमला करने की योजना बनाई थी। उनका मकसद तीन व्यक्तियों – जितेंद्र, ईशान, और अरमान को फँसाना था, जिनसे उनकी व्यक्तिगत दुश्मनी थी। खान ने बताया कि यह साज़िश जितेंद्र की पत्नी द्वारा उस पर किए गए यौन उत्पीड़न और ब्लैकमेल के आरोपों से ध्यान भटकाने के लिए रची गई थी।