
भारत तेजी से सेमीकंडक्टर निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहा है। दुनिया के तमाम देश इसकी सराहना भी कर रहे हैं, मगर चीन को यह शायद रास नहीं आ रहा। इसका ताजा उदाहरण चीन ने सेमीकंडक्टर बनाने में अहम रोल निभाने वाले दो तत्व गैलियम और जर्मेनियम के निर्यात पर अंकुश लगा दिया है। इसे लेकर केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बड़ा बयान दिया है। उनका कहना है कि चीन द्वारा लगाए गए इस प्रतिबंध का प्रभाव हम पर नहीं होगा।
मीडिया से चर्चा के दौरान इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव ने कहा कि पूरी दुनिया ने भारत के साथ साझेदारी कर रही है क्योंकि वह अधिक लचीली सप्लाई चेन बनना चाहता है। उन्होंने कहा कि चीन के गैलियम और जर्मेनियम के निर्यात पर नियंत्रण के फैसले से भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग देश और दुनिया के लिए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला भागीदार बनने के भारत के लक्ष्य को देखते हुए बेहद महत्वपूर्ण है। इस बात का भरोसा दिलाया कि आपूर्ति का कोई दुरुपयोग नहीं होगा। चीन ने हाल ही में सेमीकंडक्टर के उत्पादन के लिए अहम समझे जाने वाले दो तत्व गैलियम और जर्मेनियम के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। इससे ग्लोबल मार्केट को बड़ा झटका लगा क्योंकि चीन दुर्लभ खनिजों का उत्पादन करने वाला प्रमुख देश है।
भले ही चीन ने यह कदम पश्चिमी देशों को जवाब देने के लिए उठाया हो, मगर इससे भारत में चिप निर्माण की दिशा में चल रहे कोशिशों पर प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही थी, जिसे लेकर केंद्रीय मंत्री ने सफाई दी है। गैलियम और जर्मेनियम प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली धातुएं हैं, मगर रिफाइनरी में अन्य धातुओं के प्रोडक्ट के तौर पर तैयार होती है। गैलियम का खासतौर पर इस्तेमाल सेमीकंडक्टर, एकीकृत सर्किट और एलईडी बनाने में किया जाता है। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, थर्मामीटर, बैरोमीटर, सेंसर और फार्मास्यूटिकल्स में भी इसका यूज होता है।
बैन पर क्या बोला चीन
बीजिंग का बैन पर कहना है कि चीन ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन दो धातुओं के निर्यात को प्रतिबंध करने का फैसला किया। अब इन दोनों हाथों को चीन से बाहर ले जाने के लिए निर्यातकों को लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा और विदेशी खरीदारों और उनके साथ हुए सौदों का पूरा विवरण चीन की सरकार को देना होगा।
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