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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दर्दनाक आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले की गंभीरता को देखते हुए भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम उठाया है—पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। यह कदम न केवल कूटनीतिक दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का भी खुला एलान है।

धामी का दो टूक संदेश: खून और पानी साथ नहीं बहेंगे

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस फैसले का पुरज़ोर समर्थन करते हुए कहा, “भारत ने साफ कर दिया है कि अब खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।” उन्होंने इस निर्णय को न केवल भावनात्मक बल्कि रणनीतिक रूप से भी सही ठहराया। उनके अनुसार, यह उन आतंकवादी ताकतों के लिए सीधा संदेश है जो भारत की शांति और सुरक्षा को लगातार चुनौती दे रही हैं।

सुरक्षा समिति की बैठक में हुआ ऐतिहासिक फैसला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया। इस बैठक में पहलगाम हमले की विस्तृत समीक्षा की गई और जांच में सामने आया कि हमले के तार पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं। इसके बाद यह तय किया गया कि भारत अब पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को आगे नहीं बढ़ाएगा।

सख्त रुख और निर्णायक कार्रवाई

मुख्यमंत्री धामी ने भारत सरकार के इस फैसले को “ऐतिहासिक और कठोर” बताया और कहा कि यह आतंकवाद को पनाह देने वाले पाकिस्तान के मंसूबों को मुंहतोड़ जवाब है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक समझौता रद्द करना नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक और नैतिक संदेश है कि भारत अब आतंकवाद के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकता है।

सिंधु जल संधि: एक ऐतिहासिक समझौता

सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी, जिसमें सिंधु नदी प्रणाली के जल का बंटवारा तय हुआ था। भारत ने अब तक इस संधि का पालन अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता के तहत ईमानदारी से किया। लेकिन बार-बार की गई आतंकी घटनाओं और खासकर पहलगाम जैसे निर्मम हमले के बाद भारत ने अपनी नीति में बड़ा बदलाव किया है।

अटारी बॉर्डर समेत अन्य फैसले भी शामिल

धामी ने बताया कि यह फैसला अकेले नहीं लिया गया। भारत सरकार अटारी बॉर्डर चौकी को बंद करने जैसे अन्य विकल्पों पर भी काम कर रही है। ये सभी कदम मिलकर एक बड़ा संकेत देते हैं कि भारत अब पुराने ढर्रे पर नहीं चलेगा। दुश्मन को उसी की भाषा में जवाब दिया जाएगा।

भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का ऐलान

धामी ने जोर देकर कहा, “ये साहसिक फैसले भारत की जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक हैं। भारत अब किसी भी आतंकी हमले को यूं ही नहीं जाने देगा। हर बार, हर हमले का जवाब अब दोगुनी ताकत से मिलेगा।”

भारत का यह कदम साफ संकेत देता है कि अब नीतियां बदल चुकी हैं। पाकिस्तान को अब यह समझ लेना चाहिए कि आतंकवाद को सहन करने का समय बीत चुका है। भारत अब हर मोर्चे पर, हर तरह से जवाब देने को तैयार है।

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