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Hill Station: भारत में कई हिल स्टेशन हैं जो गर्मियों के दौरान अक्सर भीड़भाड़ वाले हो जाते हैं। हाल ही में उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हिल स्टेशनों को प्रकृति के प्रकोप का सामना करना पड़ा और भूस्खलन ने कई इलाकों और बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया। पर्वतीय क्षेत्रों में तेजी से हो रहे निर्माण ने स्थानीय लोगों के बीच गंभीर चिंता पैदा कर दी है।

ऐसे ही एक है शिमला, जिसे अक्सर पहाड़ों की रानी के रूप में जाना जाता है और अपनी कुदरती नजारो के लिए मशहूर है, देश भर और विदेश से लाखों पर्यटकों को आकर्षित करता है। भारत का ये गौरव अब डूब रहा है। शिमला की पहाड़ियाँ धीरे-धीरे ढहती दिख रही हैं, और यह स्थिति वैज्ञानिकों और भूवैज्ञानिक विशेषज्ञों के बीच गंभीर चिंता का सबब बन गई है।

विनाश के कगार पर है हिल स्टेशन

पहाड़ों में बढ़ती मानवीय गतिविधियों ने शिमला के नाजुक भूभाग पर असहनीय दबाव डाला है। मूल रूप से 30,000 निवासियों के लिए बनाया गया एक शहर अब लगभग तीन लाख लोगों का घर है। इसके अलावा, पहाड़ियों को काटकर सड़कों और बुनियादी ढांचे के निरंतर निर्माण ने क्षेत्र की स्थिरता को कमजोर कर दिया है।

शिमला अहम हिमालय बेल्ट का हिस्सा है और इस क्षेत्र के कई इलाके खतरनाक परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं। हिमालय में लगातार भूकंप, भारी वर्षा और टेक्टोनिक हलचल जैसे प्राकृतिक कारक बढ़ती अस्थिरता में योगदान दे रहे हैं। तेजी से जारी विकास और मानवीय गतिविधियाँ के कारण यहां प्राकृतिक आपदाएँ आने लगी है। कई हिस्सों में दरारें आ गई हैं।

आपको बता दें कि शिमला डूबने के खतरे के संकेत सिर्फ़ स्थानीय मुद्दे नहीं हैं, बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश के लिए खतरे की घंटी हैं। कई चेतावनियों और पिछली आपदाओं के बावजूद लोग कार्रवाई करने में हिचकिचाते हैं। अगर विनाश को रोकना है तो प्रकृति से छेड़छाड़ बंद करना और विकास की गति को नियंत्रित करना ज़रूरी है। अन्यथा, हर आपदा के साथ प्रकृति का प्रतिशोध और भी गंभीर और विनाशकारी होगा।

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