
बीते कुछ वर्षों में जब भी भारत में स्वच्छता की बात होती है, इंदौर का नाम सबसे ऊपर आता है। लेकिन अब यह शहर सिर्फ सफाई के लिए ही नहीं, बल्कि ट्रैफिक मैनेजमेंट को लेकर भी चर्चा में है। इस बार वजह बनी है इंदौर ट्रैफिक पुलिस की एक महिला कॉन्स्टेबल, जिनका नियमों के प्रति जागरूक करने का तरीका आम से अलग, लेकिन बेहद प्रभावी है।
चौराहे पर गूंजा संगीत, जागरूकता की अनोखी मिसाल
इंदौर शहर के एक व्यस्त चौराहे पर उस वक्त लोगों के चेहरे पर मुस्कान आ गई जब एक महिला ट्रैफिक कॉन्स्टेबल माइक थामे गाना गाने लगीं। यह कोई मनोरंजन का कार्यक्रम नहीं था, बल्कि ट्रैफिक नियमों को लोगों तक पहुंचाने का एक नया, अनोखा और बेहद संगीतमय तरीका था। मधुर आवाज और लोकप्रिय धुनों पर तैयार गीत के जरिए वह लोगों को नियमों के पालन के लिए प्रेरित कर रही थीं।
उनके गीतों में साफ संदेश था—हेलमेट पहनिए, शराब पीकर गाड़ी मत चलाइए, सीट बेल्ट लगाइए और सिग्नल का पालन कीजिए। लेकिन इस संदेश को उन्होंने जिस तरह प्रस्तुत किया, वह न कोई नसीहत था, न डराने वाली बात, बल्कि एक दोस्ताना संवाद जो लोगों के दिल में उतर गया।
महिला कॉन्स्टेबल की पहल: जागरूकता के साथ रचनात्मकता
इस वीडियो के वायरल होने के बाद लोगों ने महिला कॉन्स्टेबल के इस प्रयास की जमकर तारीफ की। उनके गीत सुनकर राहगीर न सिर्फ रुकते, बल्कि मुस्कुराकर उनके साथ ताल भी मिलाते दिखे। यह साबित करता है कि बात जब नियमों को समझाने की हो, तो सख्ती की जगह अगर रचनात्मकता को चुना जाए, तो असर कहीं ज्यादा गहरा और सकारात्मक हो सकता है।
इंदौर पुलिस की रचनात्मक सोच
यह पहली बार नहीं है जब इंदौर पुलिस ने ट्रैफिक जागरूकता के लिए अलग तरीका अपनाया हो। इससे पहले भी पुलिस ने नुक्कड़ नाटक, पोस्टर, होर्डिंग्स और सोशल मीडिया अभियानों के जरिए नियमों के प्रति लोगों को जागरूक करने की कोशिश की है। यह हालिया प्रयास उसी सिलसिले की एक शानदार कड़ी है।
संगीत से संजीवनी: एक मिसाल पूरे देश के लिए
इंदौर ट्रैफिक पुलिस की यह पहल अन्य शहरों के लिए भी एक प्रेरणादायक उदाहरण बन सकती है। यह दिखाता है कि सड़कों पर अनुशासन लाने के लिए केवल दंड या चेतावनी ही नहीं, बल्कि सकारात्मकता और कला का सहारा भी लिया जा सकता है।
जहां अधिकतर शहरों में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन को लेकर शिकायते आम होती हैं, वहीं इंदौर जैसे शहर में इस तरह की पहल लोगों को जुड़ने और सोचने पर मजबूर करती है। ट्रैफिक नियम सिर्फ कानून का हिस्सा नहीं, बल्कि सुरक्षित और सभ्य समाज की आवश्यकता हैं। जब इन्हें सिखाने का अंदाज इतना सहज और प्रभावशाली हो, तो यकीनन असर भी दीर्घकालिक होता है।
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