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पांच साल बाद एक बार फिर कैलाश मानसरोवर यात्रा के द्वार खुलने जा रहे हैं, मगर इस बार श्रद्धालुओं को आस्था की इस यात्रा के लिए पहले से कहीं ज्यादा जेब ढीली करनी होगी। जहां पहले तक यात्री कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) को 35 हजार रुपये अदा करते थे। वहीं अब इस रकम को बढ़ाकर 56,000 रुपये कर दिया गया है। यह राशि यात्रा के दौरान यात्रियों के आने-जाने, ठहरने और भोजन जैसी आवश्यक सुविधाओं के लिए ली जाएगी।

महंगाई की मार ने आस्था की राह भी की महंगी

वर्ष 2019 के बाद पहली बार लिपुलेख दर्रे के रास्ते कैलाश मानसरोवर यात्रा 30 जून से फिर शुरू होने जा रही है। कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) इस यात्रा का आयोजन करता है और इस बार पांच जत्थों में श्रद्धालु रवाना होंगे। हर जत्थे में 50-50 यात्री शामिल होंगे।

KMVN के प्रबंध निदेशक विनीत तोमर के अनुसार, श्रद्धालुओं को इस बार 56 हजार रुपए अग्रिम रूप से चुकाने होंगे जो यात्रा के पंजीकरण के दौरान ही लिया जाएगा। हालांकि यह राशि यात्रा के मुख्य हिस्से को कवर करती है, बाकी के खर्च यात्रियों को अलग से खुद वहन करने होंगे।

सीमा पार खर्च का अलग बोझ

केएमवीएन द्वारा ली जा रही राशि सिर्फ भारत सीमा के अंदर की सुविधाओं तक सीमित है। इसके अतिरिक्त श्रद्धालुओं को निम्नलिखित मदों में अलग से खर्च उठाना होगा।

  • दिल्ली के हार्ट एंड लंग इंस्टीट्यूट में मेडिकल जांच
  • स्ट्रेस ईको टेस्ट
  • चीन का वीजा शुल्क
  • भारतीय सीमा में कुली, टट्टू व चालक का किराया
  • समूह के लिए रसोइया, अतिरिक्त खाद्य सामग्री व मेहनताना
  • तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र और चीन सीमा में संबंधित शुल्क

ये सभी खर्च विदेश मंत्रालय द्वारा निर्धारित गाइडलाइन्स के अनुसार होंगे और यात्रियों को इनके लिए अलग से बजट तैयार करना होगा।

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